New Delhi : आज 15 मई को सुबह 4.30 बजे बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खोल दिये गये। इस बार बेहद सादगी के साथ कपाट खोले गये। कपाटोद्घाटन मे मुख्य पुजारी रावल, धर्माधिकारी भूवन चन्द्र उनियाल, राजगुरु, हकहकूकधारियो सहित केवल 28 लोग ही शामिल हो सके। बद्रीनाथ धाम के कपाट खोलने की प्रक्रिया 14 मई से ही शुरू हो गई थी। भगवान बदरी विशाल के धाम को 10 क्विंटल गेंदे के फूलों से सजाया गया है। कपाट खोलने से पहले बद्रीनाथ सिंह द्वार, मंदिर परिसर, परिक्रमा स्थल, तप्त कुंड के साथ ही विभिन्न स्थानों को सैनिटाइज किया गया। भगवान बद्रीविशाल की प्रथम पूजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से हुई। पूजा में देश के कल्याण आरोग्यता के लिए प्रार्थना की गई। ऑन लाइन बुक हो चुकी पूजा भक्तों के नाम से की जायेंगी। प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, पर्यटन धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज ने श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने पर शुभकामनाएं दी हैं।
Uttarakhand: The portals of Badrinath Temple opened at 4:30 am today. 28 people including the Chief Priest was present at the temple when its portals opened. pic.twitter.com/jVDGmoZ9Vs
— ANI (@ANI) May 15, 2020
धर्माधिकारी भुवनचंद्र उनियाल के मुताबिक श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट पूजा के लिए प्रातः 4:30 बजे खोल दिये गये। उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि ऋषिकेश की श्री बद्रीनाथ पुष्प सेवा समिति द्वारा 10 क्विंटल से अधिक फूलों से मंदिर को सजाया गया है। इस साल दुनियाभर में फैली महामारी से मुक्ति के लिए बद्रीनाथ में विशेष पूजा की गई। हर साल हजारों भक्तों के सामने यहां कपाट खोले जाते हैं, लेकिन इस साल लॉकडाउन की वजह से कपाट खुलते समय लगभग 28 लोग ही उपस्थित थे। रावल नंबूदरी, धर्माधिकारी भुवनचंद्र उनियाल के अलावा यहां मंदिर समिति के सीमित लोग, शासन-प्रशासन के अधिकारी और कुछ क्षेत्रवासी यहां उपस्थित थे। सभी ने मास्क लगाया हुआ था और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया।
कपाट खुलने के बाद बद्रीनाथ के साथ ही भगवान धनवंतरि की भी विशेष पूजा की गई। धनवंतरि आयुर्वेद के देवता हैं। दुनियाभर से इस महामारी को खत्म करने की ये पूजा रावल नंबूदरी द्वारा की गई। बद्रीनाथ का तिल के तेल से अभिषेक होता है और ये तेल यहां टिहरी राज परिवार से आता है। टिहरी राज परिवार के आराध्य बद्रीनाथ हैं। रावल राज परिवार के प्रतिनिधि के रूप में भगवान की पूजा करते हैं। यहां परशुराम की परंपरा के अनुसार पूजा की जाती है।
यहां बद्रीनाथ की पूजा करने वाले पुजारी को रावल कहा जाता है। आदि गुरु शंकराचार्य ने चारों धामों के पुजारियों के लिये विशेष व्यवस्था बनाई थी। इसी व्यवस्था के अनुसार बद्रीनाथ में केरल के रावल पूजा के लिए नियुक्त किये जाते हैं। सिर्फ रावल को ही बद्रीनाथ की प्रतिमा छूने का अधिकार होता है।
विश्व प्रसिद्ध भगवान केदारनाथ धाम के कपाट विधि विधान और पूजा अर्चना के बाद बीते 29 अप्रैल को खोल दिए गए थे। कपाट खुलने के दौरान वहां पर तीर्थयात्री और स्थानीय लोगों की कमी साफ देखी गई थी। कोराना संकट के चलते यह पहला मौका था जब कपाट खुलने पर बाबा के दरबार में भक्तों का टोटा नहीं था।
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— Uttarakhand Tourism (@Uttarakhand_Tou) November 30, 2017
विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट रविवार को अक्षय तृतिया के मौके पर वैदिक मंत्रोच्चारण व पूजा-अर्चना के साथ श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिए गए। गंगोत्री धाम के कपाट 12:35 व यमुनोत्री के कपाट ठीक दोपहर 12:41 पर खोले गए। दोनो धामों के कपाट खुलने के बाद आगामी छह माह तक श्रद्धालु धामों में मां गंगा व यमुना के दर्शनों के भागी बन सकेंगे। हालांकि लॉकडाउन के कारण कपाट खोलते वक्त श्रद्धालु नहीं पहुंच सके।