New Delhi : कोरोना आपदा और लॉकडाउन में जहां एक तरफ मानव त्रासदी को दर्शाती तस्वीरें आ रही हैं तो दूसरी ओर मानवता की तस्वीरें भी आ रही हैं। बेहद कम संख्या में सामने आ रहीं मानवता की इन तस्वीरों पर किसी का भी दिल पसीज जायेगा। ऐसी ही एक तस्वीर है जिग्नेश गांधी की। सूरज के समाज सेवक और टेक्सटाइल मशीनरी के बिजनेसमैन जिग्नेश कुछ ऐसा कर रहे हैं कि सब उन्हें सलाम कर रहे है। उन्होंने बीड़ा उठाया है गरीबों को भूखे नहीं सोने देना है। चाहे इसके लिये कुछ हो जाये। जब से लॉकडाउन शुरू हुआ है वे जरूरतमंदों की तलाश कर कर के खाना खिला रहे हैं।
Jignesh Gandhi, a #Surat based entrepreneur is feeding 12,000 needy people daily, since last 46 days.
Everyday he buys 500 kg of rice, 150 kg of vegetables for this mission. [Source: @ThePrintIndia] #Lockdown #HelpingHands pic.twitter.com/cgQOo0yhAK
— Amit Panchal (@AmitHPanchal) May 13, 2020
सूरत के समाज सेवक और टेक्सटाइल मशीनरी के बिज़नेसमेन जिग्नेश गांधी 24 मार्च यानी लॉकडाउन की तारीख से ही लोगों को खाना बांटने का काम कर रहे हैं। 44 साल के जिग्नेश गांधी पिछले 46 दिनों से बेसहारा और गरीब लोगों को दिन में दो बार खाना खिला रहे हैं। हर दिन 12 हज़ार लोगों की भूख मिटाने के लिए वो करीब 150 किलो सब्ज़ी, 500 किलो दाल-चावल ख़रीदते हैं और लोगों के खाने का इंतज़ाम करते हैं।
गांधी लोगों की भूख को समझते हैं क्योंकि उन्होंने खुद इस भूख से जंग लड़ी है। वे इसी भूख की वजह से अपनी पढ़ाई भी पूरी नहीं कर पाये जिसका मलाल अभी तक उनको है। उन्होंने अपने परिवार की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए 16 की उम्र में पढ़ाई छोड़ दी थी। परिवार के लिए काम करना शुरू कर दिया था। इस बार कोरोना आपदा में उन्होंने ठान लिया कि वे अपने सामने किसी को भूखा नहीं रहने देंगे। इस धर्म और दान में अब तक उन्होंने 36 लाख रुपये ख़र्च कर दिये हैंद्ध कुछ फंड्स उनकी खुद के स्वयं सहायता संगठन ‘होप’ से जुटाये गये हैं।
जिग्नेशा गांधी हर दिन शहर के रिक्शेवालों, कंस्ट्रक्शन वर्कर्स. मिस्त्री, कारपेंटर आदि को भोजन करवा रहे हैं। उनके इस काम से स्थानीय युवा भी प्रेरित हो रहे हैं। ये लोग खाना बनाने, बांटने से लाकर ज़रूरतमंद लोगों तक खाना पहुंचाने में गांधी की मदद कर रहे हैं।