New Delhi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 मई 1998 को पोखरण में भारत के परमाणु परीक्षण की 22वीं वर्षगांठ पर देश के वैज्ञानिकों और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व को सलाम किया है। न्यूक्लियर टेक्नॉलजी में भारत की ऐतिहासिक उपलब्धि को याद करने के लिए ही 11 मई को नैशनल टेक्नॉलजी डे मनाया जाता है। आज जब हमलोग इसे ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में देखते हैं तो वो पल भी याद आते हैं जब इसी उपलब्धि के लिये तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को न सिर्फ पूरी दुनिया बल्कि देश में भी आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा था।
On National Technology Day, our nation salutes all those who are leveraging technology to bring a positive difference in the lives of others. We remember the exceptional achievement of our scientists on this day in 1998. It was a landmark moment in India’s history.
— Narendra Modi (@narendramodi) May 11, 2020
11 मई को राजस्थान के पोखरण में तीन बमों का सफल परीक्षण किया गया था। जिसके बाद भारत न्यूक्लियर स्टेट बन गया। ये परीक्षण देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में हुआ था। ये देश का दूसरा परमाणु परीक्षण था। इससे पहले राजस्थान के जैसलमेर से करीब 140 किमी दूर लोहारकी गांव के पास मलका गांव में 18 मई 1974 को भारत ने गांव के एक सूखे कुएं में पहला परमाणु परीक्षण किया था। ये परमाणु परीक्षण इंदिरा गांधी के नेतृत्व में हुआ था। इसके बाद 11 मई 1998 का दिन भारत के लिए यादगार बन गया। इसी मौके पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1998 पोखरण परीक्षण को याद करते हुए ट्वीट किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया – नैशनल टेक्नॉलजी डे पर हम उन सभी को सलाम करते हैं जो दूसरों की जिंदगी में तकनीक के जरिए सकारात्मक बदलाव लाते हैं। हम 1998 में आज के दिन हमारे वैज्ञानिकों की असाधारण उपलब्धि को याद करते हैं। यह भारत के इतिहास का एक मील का पत्थर है, ऐतिहासिक क्षण है।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के लिए परमाणु बम परीक्षण करना आसान नहीं था। परमाणु परीक्षण के फैसले को लेकर देश में भी विपक्षी दलों ने उनपर निशाना साधा था। अटल बिहारी वाजपेयी जब पोखरण परीक्षण पर संसद में जवाब देने उतरे तो उन्होंने जहां विपक्ष को निरुत्तर कर दिया वहीं दुनिया को ये साफ संदेश दिया – ये भारत बदला हुआ भारत है, दुनिया से आंख मिलाकर और हाथ मिलाकर चलना चाहता है। किसी प्रतिबंध से झुकेगा नहीं और शांति और सुरक्षा के लिए परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेगा।
सदन में विपक्षी दलों की ओर से परमाणु परीक्षण को लेकर कई सवाल उठाए गए थे, इस पर अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था-ये आश्चर्य की बात है कि परमाणु परिक्षण की आलोचना की गई, पूछा गया देश के सामने कौन सा खतरा था। 1974 में मैं सदन में था जब इंदिरा गांधी के नेतृत्व में परमाणु परीक्षण किया गया था। हम प्रतिपक्ष में थे, लेकिन फिर भी हमने स्वागत किया था, क्योंकि देश की रक्षा के लिए परमाणु परिक्षण किया गया था। क्या मुझे कोई बताएगा, उस समय कौन से खतरा था? क्या आत्मरक्षा की तैयारी तभी होगी जब खतरा होगा? अगर तैयारी पहले से हो तो ये अच्छी बात हैं, जो खतरा भविष्य में आने वाला होगा वह भी दूर हो जाएगा।
The tests in Pokhran in 1998 also showed the difference a strong political leadership can make.
Here is what I had said about Pokhran, India’s scientists and Atal Ji’s remarkable leadership during one of the #MannKiBaat programmes. pic.twitter.com/UuJR1tLtrL
— Narendra Modi (@narendramodi) May 11, 2020
अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था, परमाणु बम परीक्षण हमारे कार्यक्रम काल में लिखा हुआ था, जिसके बाद हमने परमाणु बम परीक्षण करने का फैसला किया गया था। ऐसे में जो लोग सवाल उठा रहे हैं वह जान लें, ये कोई छिपी हुई बात नहीं थी, कोई रहस्य नहीं था। पोखरण परमाणु परीक्षण के मिशन का नाम ‘ऑपरेशन शक्ति’ था। इस मिशन में अहम भूमिका निभाने वालों में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अलावा तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम थे, वह उस समय रक्षा मंत्रालय में सलाहकार वैज्ञानिक के पद पर थे।