New Delhi : मशहूर गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्तर ने फिर से बोल्ड बयान दिया है। इस बार उन्होंने अजान के लिये लाउडस्पीकर का इस्तेमाल बंद करने की सलाह दी है। उन्होंने शनिवार की रात में एक ट्वीट में यह बात कही। अब इसको लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। लोग जमकर इस मसले में ट्विटर पर बहस कर रहे हैं। अप्रैल 2017 में गायक सोनू निगम ने भी इस तरह की मांग की थी। तब भी जावेद अख्तर ने उनका समर्थन किया था।
In India for almost 50 yrs Azaan on the loud speak was HARAAM Then it became HaLAAL n so halaal that there is no end to it but there should be an end to it Azaan is fine but loud speaker does cause of discomfort for others I hope that atleast this time they will do it themselves
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) May 9, 2020
अख्तर ने अपने ट्वीट में लिखा – भारत में लगभग 50 सालों तक लाउडस्पीकर पर अजान देना हराम रहा, लेकिन फिर ये हलाल हो गया और इतना हलाल कि इसका कोई अंत ही नजर नहीं आ रहा। लेकिन, इसका अंत जरूर होना चाहिए। अजान से कोई दिक्कत नहीं, लेकिन लाउडस्पीकर से दूसरों को काफी असुविधा होती है। मुझे आशा है कि कम से कम इस बार वे खुद ऐसा कर लेंगे।
जावेद के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए एक मुस्लिम यूजर ने लिखा – आपकी राय से असहमत हूं। कृपया ऐसी टिप्पणियां ना करें जो कि इस्लाम और उसे मानने वालों से संबंधित हों। आपको ये बात पता होना चाहिए कि हम हर बार ऊंची आवाज में गाने नहीं चलाते और ना ही शैतान के हाथों में खेल रहे हैं। अजान किसी को प्रार्थना और जिंदगी के सही रास्ते पर चलने के लिए बुलाने का सबसे सुंदर तरीका है।
उस यूजर को जवाब देते हुए अख्तर ने लिखा-तो क्या तुम ये कहना चाहते हो कि वे इस्लामिक विद्वान जिन्होंने लगभग 50 साल पहले लाउडस्पीकर को हराम घोषित किया था, वे सभी गलत थे और नहीं जानते थे कि वे किस बारे में बात कर रहे हैं। अगर तुम्हारे पास हिम्मत है तो ऐसा कहो, फिर मैं तुम्हें उन सभी इस्लामिक विद्वानों के नाम बताऊंगा।
इससे पहले अप्रैल 2017 में गायक सोनू निगम ने भी लाउडस्पीकर पर अजान का मुद्दा उठाते हुए सभी तरह के धर्मस्थलों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का विरोध किया था। इस मुद्दे को लेकर उन्होंने कई ट्वीट किए थे। उन्होंने लिखा था-ईश्वर सबका भला करे। मैं एक मुसलमान नहीं हूं लेकिन इसके बाद भी मुझे सुबह-सुबह अजान की आवाज के साथ उठना पड़ता है। पता नहीं भारत में ये जबरदस्ती की धार्मिकता कब खत्म होगी। मैं इस बात का भी बिल्कुल समर्थक नहीं हूं कि कोई मंदिर या गुरुद्वारा ऐसे लोगों को उठाने के लिए बिजली का उपयोग करें, जो उनके धर्म को नहीं मानते हों। तो फिर ऐसा क्यों? गुंडागर्दी है बस।
So are you suggesting that those Islamic scholars who had declared the loud speaker haraam for almost fifty years were all wrong and didn’t know what they are talking about . If you have the guts then say so then I will tell you names of those scholar .
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) May 9, 2020
पहले भी जावेद अख्तर मस्जिदों में लाउडस्पीकर्स के इस्तेमाल का विरोध कर चुके हैं। फरवरी 2018 में किए अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा था-इसे रिकॉर्ड में रख लेना कि मैं सोनू निगम समेत उन सब लोगों से सहमत हूं जो चाहते हैं कि मस्जिदों में लाउडस्पीकर्स का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। साथ ही रिहायशी इलाकों में स्थित किसी अन्य सभी पूजास्थलों में भी इसका इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।