ये पल देश के लिये गर्व का है : पत्नी और बेटी ने कर्नल आशुतोष को दी अंतिम सलामी

New Delhi :  कर्नल आशुतोष शर्मा श्रीनगर से देर रात जयपुर पहुंचे। इसके बाद मंगलवार सुबह जयपुर में उन्हें परिजनों ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी। पत्नी और बेटी ने उनकी शहादत को सैल्यूट कर उन्हें विदाई दी। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भाजपा सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़  कर्नल आशुतोष को श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे। शहीद की पत्नी ने भी उन्हें अंतिम सलामी दी। उन्हें पत्नी पल्लवी और बड़े भाई पीयूष ने मुखाग्नि दी। मुखाग्नि देते समय पत्नी के चेहरे पर गर्व की मुस्कान थी। सोमवार को जब कर्नल आशुतोष जयपुर पहुंचे तो हर आंख भर आईं, गले रुंध गए। सेना के अधिकारियों ने आशुतोष का सामान और वर्दी पत्नी पल्लवी को दी।

कर्नल आशुतोष शर्मा कितने जुनूनी थे यह इस बात से ही समझा जा सकता है कि सेना में शामिल होने के सपने को साकार करने के लिए साढ़े छह साल तक 12 बार वह चयनित होने से चूकते रहे, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने 13वें प्रयास में सेना की वो वर्दी हासिल कर ही ली जिसकी उन्हें तमन्ना थी। कर्नल शर्मा को याद करते हुए उनके बड़े भाई पीयूष ने कहा कि चाहे जितनी मुश्किलें आएं वह उस चीज को हासिल करता था जिसके लिए ठान लेता था। जयपुर में एक दवा कंपनी में काम करने वाले पीयूष ने कहा, उसके लिए इस पार या उस पार की बात होती थी। उसका एक मात्र सपना सेना में जाना था और कुछ नहीं।

पीयूष ने बताया, वह किसी न किसी तरीके से सेना में शामिल होने के लिए भिड़ा रहता, जब तक कि 13वें प्रयास में उसे सफलता नहीं मिल गई। उस दिन के बाद से आशू (कर्नल शर्मा) ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। कर्नल शर्मा 2000 के शुरू में सेना में शामिल हुए थे। पीयूष ने अपने भाई के साथ एक मई को हुई बातचीत को याद करते हुए कहा, उस दिन राष्ट्रीय राइफल्स का स्थापना दिवस था और उसने हमें बताया कि उन लोगों ने कोविड-19 महामारी के बीच कैसे इसे मनाया। मैं उसे कई बार समझाता था और उसका एक ही रटा रटाया जवाब होता था- मुझे कुछ नहीं होगा भइया।

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