New Delhi : उत्तर प्रदेश के बाद अब महाराष्ट्र भी कोटा में फंसे अपने प्रदेश के छात्रों को राजस्थान के कोटा से बसों के जरिये ला रहा है। एक बस में सिर्फ 20 छात्र ही बैठेंगे। कोरोना आपदा और लॉकडाउन की वजह से अलग अलग प्रदेश के हजारों छात्र कोटा में फंस गये। सबसे पहले उत्तर प्रदेश की योगी सरकार छात्रों को बसों से अपने यहां ले आई और सभी छात्रों को घरों तक पहुंचाया। इसके बाद मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ ने अपने हजारों स्टूडेंट्स को बुलाया। महाराष्ट्र के अलावा उत्तराखंड, पंजाब, हिमाचल ने भी अपने बच्चों को वहां से बुला लिया है। अब केवल बिहार के छात्र ही वहां फंसे हुये हैं।
कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाये लॉकडाउन के कारण राजस्थान के कोटा में फंसे छात्रों को वापस लाने के लिए बुधवार की सुबह महाराष्ट्र से स्टेट ट्रांसपोर्ट की 70 बसें रवाना हुईं। महाराष्ट्र के धुले जिले से सुबह करीब साढ़े 10 बजे बसें रवाना हुई और बुधवार रात तक राजस्थान पहुंच जाएंगी। महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम ने बताया, बसें गुरुवार सुबह को कोटा से रवाना होंगी। उन्होंने बताया कि प्रत्येक बस में केवल 20 छात्रों को बैठने की अनुमति होगी और बसें भोजन के लिए दो से तीन स्थानों पर रुकेंगी। महाराष्ट्र के कई छात्र 12वीं कक्षा के बाद विभिन्न प्रतियोगी प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी की तैयारी के सिलसिले में कोचिंग कक्षाएं करने के लिए कोटा में रह रहे हैं।
11 से 12 घंटे की लंबी दूरी के कारण प्रत्येक बसों को दो चालक मुहैया कराये गये हैं और एक वैन बसों के बेड़े के साथ चलेगी ताकि वाहन में किसी तरह की खराबी आने पर उसे ठीक किया जा सके। उन्होंने कहा – कोटा से वापसी की यात्रा पर बसें छात्रों को उनके जिलों तक लेकर जायेंगी। महाराष्ट्र के 1780 छात्र लॉकडाउन के कारण राजस्थान के कोटा में फंसे हुए हैं। मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुसार निगम की 92 बसें धुले से रवाना होनी थी। लेकिन यह संख्या कम कर दी गई क्योंकि रायगढ़ तथा बीड जैसे जिलों ने कोटा से छात्रों को वापस लाने के लिए निजी बसें भेजीं। वैसे प्राइवेट बसों को मिलकार करीब 100 बसें जा रही हैं कोटा।
वापसी पर छात्रों को घर में 14 दिन तक अनिवार्य रूप से पृथक-वास करने के बाद अपने अभिभावकों के साथ चिकित्सा जांच करानी होगी। ऐसे संकेत मिले हैं कि कुछ बड़े शहरों में बंद की अवधि बढ़ाई जा सकती है जहां कोरोना वायरस संबंधी स्थिति अभी तक नियंत्रण में नहीं है। इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने छात्रों को वापस लाने का फैसला किया।