बाहुबली पुजारी : भगवान जगन्नाथ का बॉडीगार्ड, इनको भी देखने देश विदेश से लोग आते हैं

New Delhi : अगर आप उन्हें देखेंगे तो सामान्य तौर पर वह आपको बॉडी बिल्डर ही नजर आयेंगे। पुजारी तो नहीं। लेकिन सुबह से शाम तक उनकी पूरी दिनचर्या मंदिर में पूजा करने और जिम में दंड पेलने के बीच सीमित है। हो भी क्यों न। आखिर वे भगवान जगन्नाथ के बॉडीगार्ड जो ठहरे। जी हां पूरा शहर जगन्नाथ मंदिर के पुजारी अनिल गोछिकर को भगवान जगन्नाथ के अंगरक्षक के तौर पर ही जानता है। क्योंकि अनिल का शरीर उन्हें विशिष्ट बाहुबली की श्रेणी में लाता है। 7 बार मिस्टर ओडिशा रह चुके अनिल मंदिर परिसर और आसपास के लोगों के आंख का तारा है। रीयल हीरो, जिसे बच्चे आजकल बहुत तेजी से फॉलो कर रहे हैं।

सेवायतों की प्रतिहारी श्रेणी में आने वाले अनिल गोछिकर पुजारी होने के साथ-साथ बॉडी बिल्डर और मिस्टर ओडिशा भी हैं। अपने कद-काठी के चलते लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। मंदिर के आसपास के लोग उन्हें भगवान जगन्नाथ का अंगरक्षक भी कहते हैं। अनिल के परिवार के लोग कई पीढ़ियों से मंदिर की सेवा में जुटे हुए हैं। मुगलों और अन्य आक्रमणकारियों ने जब जगन्नाथ मंदिर पर हमला किया था तो उनके पूर्वजों ने महाप्रभु की रक्षा की थी। महाप्रभु की मूर्ति बहुत भारी होती है इसलिए उन्हें उठाने के लिए उनका बलवान होना अनिवार्य है। इसके लिए वह रोजाना अभ्यास करते हैं। उनके समुदाय के बच्चों को पढ़ाई करने के बाद अखाडा जाना जरूरी होता है।
अनिल की सिक्स पैक एब्स की तस्वीरें भी सोशल मीडिया में छाई रहती हैं। अनिल बॉडी बिल्डिंग में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिताओं में अपना दम-खम दिखा चुके हैं। अनिल बॉडी बिल्डिंग की राष्ट्रीय चैंपियनशिप में दो बार गोल्ड मेडल और एक बार सिल्वर मेडल जीत चुके हैं। साल 2016 में दुबई में हुई अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में अनिल ने गोल्ड मेडल जीता था। साल 2017 और 2019 में उन्होंने राष्ट्रीय चैंपियनशिप गोल्ड और साल 2018 में सिल्वर मेडल जीता था।

अनिल ने अपने बड़े भाई दामोदर के लिए बॉडी बिल्डिंग सीखी थी। दामोदर भी बॉडीबिल्डर थे लेकिन पिता के निधन के बाद उन्हें बॉडी बिल्डिंग छोड़ना पड़ी थी। उनके पिता पूरी मंदिर में ही पुजारी थे। अनिल रोजाना मिट्टी के बर्तनों में पका हुआ भोजन ग्रहण करते हैं। वह शुद्ध शाकाहारी हैं। अनिल ने बताया कि, महाप्रभु की सेवा करने वाले परिवार से आता हूं। मेरे अलावा मेरे बड़े भाई और परिवार के कई अन्य सदस्य भी श्रीमंदिर में सेवक हैं। माता-पिता भी महाप्रभु के सेवक थे।

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