Prime Minister Narendra Modi seen with Amit Shah

मोदी सरकार का फैसला : डाक्टर-मेडिकल स्टाफ के साथ मारपीट के दोषी को 7 साल जेल, 2 लाख जुर्माना

New Delhi : सरकार ने मेडिकल स्टाफ के साथ बदतमीजी करनेवालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का निर्णय लिया है। अब अगर कोई व्यक्ति मेडिकल स्टॉफ के साथ मारपीट करने का दोषी पाया जाता है तो उसे 6 महीने से 7 साल तक की सजा हो सकती है। इतना ही नहीं दो लाख रुपए तक आर्थिक दंड देने का भी प्रावधान किया गया है। इसके लिये केन्द्र सरकार अध्यादेश लेकर आई है। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि मेडिकल कर्मचारियों के साथ बदतमीजी को बिलकुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

उनकी सुरक्षा के लिए सरकार पूरा संरक्षण देने वाला अध्यादेश जारी करेगी। प्रधानमंत्री के हस्ताक्षर के बाद ये तुरंत प्रभाव से जारी होगा। उन्होंने कहा कि महामारी कानून में कैबिनेट ने बदलाव किया है। इस अपराध को गैरजमानती बनाया गया है। जावड़ेकर ने अध्यादेश की जानकारी देते हुए कहा कि महामारी कानून में कैबिनेट ने बदलाव किया है। 30 दिन में चार्जशीट दाखिल करना है। एक साल के भीतर फैसला होगा। हाल के दिनों में देखा गया कि कोरोना के मरीजों के इलाज में जुटे मेडिकल स्टाफ पर देश के कुछ हिस्सों में बदतमीजी और मारपीट की खबर सामने आई थी। इसके बाद सरकार सख्त हो गई और अब अध्यादेश लेकर आई है।

इधर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अपील के बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने अपना सांकेतिक प्रदर्शन वापस ले लिया है। आज गृह मंत्री अमित शाह और स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्ष वर्धन ने आईएमए और डॉक्टरों से बात की थी। वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिए हुई इस बातचीत में उन्होंने सांकेतिक विरोध प्रदर्शन न करने की अपील की। अमित शाह ने डॉक्टरों को भरोसा दिलाया कि सरकार उनके साथ है। मेडिकल स्टाफ पर हो रहे मारपीट के विरोध में डॉक्टर आज सांकेतिक प्रदर्शन के तौर पर मोमबत्ती जलाने वाले थे।
आईएमए ने प्रदर्शन को वापस लेते हुए कहा कि उन्हें गृह मंत्री की ओर से सुरक्षा का आश्वासन मिला है। इसके साथ ही इस मुश्किल वक्त में सबको साथ होना चाहिए। डॉक्टरों के प्रदर्शन से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गलत संदेश जाएगा। आईएमए ने कहा कि देश की अखंडता और एकता को ध्यान में रखते हुए प्रदर्शन वापस लिया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से डॉक्टरों को सुरक्षा का आश्वासन दिया और उनसे अपील की कि वे उनके द्वारा प्रस्तावित प्रतीकात्मक विरोध को न करें, सरकार उनके साथ है। दरअसल, देश के अलग-अलग हिस्सों में मेडिकल स्टाफ पर हुए मारपीट से डॉक्टर नाराज हैं और वह सख्त केंद्रीय स्पेशल कानून बनाने की मांग कर रहे हैं।

इंदौर में डाक्टर और मेडिकल स्टाफ पर हुए हमले की तस्वीर

आईएमए लंबे समय से डॉक्टरों से मारपीट करने वालों के खिलाफ केंद्रीय कानून बनाने की मांग करता रहा है। इस मामले में स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2019 में एक ड्राफ्ट जारी किया था, जिसमें डॉक्टरों पर ह म ले के आरोपी को 10 साल की जेल और 10 लाख रूपये के जुर्माने का प्रावधान भी किया था। इस ड्राफ्ट को कानून और वित्त मंत्रालय ने मंजूरी दे दी थी, लेकिन मामला गृह मंत्रालय ने अटका दिया था।

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