New Delhi : भगोड़े बिजनेसमैन Vijay Mallya को ब्रिटिश हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। अदालत ने भारत में माल्या के प्रत्यर्पण के खिलाफ दाखिल की गई उसकी याचिका को खारिज कर दिया है। माल्या नौ हजार करोड़ रुपये की धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में वांछित आरोपी है। इसके साथ ही विजय माल्या के भारत प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया है। 2018 में ब्रिटेन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट ने विजय माल्या के भारत प्रत्यर्पण को हरी झंडी दी थी। इसके खिलाफ माल्या ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी। तभी से यह मामला लंबित चल रहा था। इस फैसले के बाद अब माल्या के प्रत्यर्पण का मामला ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल के पास जाएगा, वे इस पर अंतिम फैसला लेंगी। माल्या मार्च, 2016 में भारत छोड़कर भाग गया था। तब से वह ब्रिटेन में ही रह रहा है।
लंदन की रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस की लॉर्ड जस्टिस स्टीफन इरविन और जस्टिस एलिजाबेथ लेइंग की दो सदस्यीय पीठ ने माल्या की अपील पर सुनवाई की और उसे खारिज कर दिया। अदालत ने माना कि माल्या के खिलाफ भारत में कई बड़े और गंभीर आरोप लगे हैं। बीते दिनों प्रत्यर्पण के आदेश को चुनौती देने वाली माल्या की याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान न्यायाधीशों की पीठ इस निष्कर्ष पर पहुंची थी कि भगोड़े शराब कारोबारी के खिलाफ बेईमानी के पुख्ता सुबूत हैं। वहीं सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद माल्या भी गंभीरता से बहस को सुन रहा था।
शराब कारोबारी विजय माल्या पर भारतीय बैंकों का 9 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज है। माल्या ने यह कर्ज अपनी किंगफिशर एयरलाइंस के लिए लिया था। मार्च 2016 में माल्या भारत छोड़कर ब्रिटेन भाग गया था। तभी से भारत की एजेंसियां माल्या को ब्रिटेन से भारत लाने में जुटी हैं। 2018 में ब्रिटेन की कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद माल्या के प्रत्यर्पण की उम्मीद जगी थी, लेकिन उसकी ओर से हाईकोर्ट में अपील दाखिल करने के बाद मामला फिर अटक गया था।
63 वर्षीय विजय माल्या कई बार भारत सरकार के सामने किंगफिशर एयरलाइंस का पूरा कर्ज चुकाने का प्रस्ताव पेश कर चुका है। हाल ही में लॉकडाउन के दौरान माल्या ने ट्विट के जरिए भारत सरकार के सामने पूरा कर्ज चुकाने का प्रस्ताव पेश किया था। माल्या ने कहा था कि ना तो बैंक पैसे लेने के लिए तैयार हैं और ना ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) अटैच प्रॉपर्टी को रिलीज करने के लिए तैयार है। माल्या ने लॉकडाउन के दौरान अपनी कंपनियों के कर्मचारियों का राहत देने के लिए सरकार से मदद की मांग भी की थी।
अदालत के समक्ष ब्रिटिश सरकार के अधिवक्ता मार्क समर्स ने कहा था कि प्रत्यर्पण समझौते के अनुसार माल्या को भारत को सौंपने के लिए 32,000 पेज के सुबूत पेश किए गए हैं। उक्त तमाम सबूत सारी कहानी खुद बयां कर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि लंबी सुनवाई में निचली अदालत ने भी इन सबूतों को सही माना है। ऐसे में देरी नहीं करते हुए माल्या को भारत प्रत्यर्पित कर दिया जाए ताकि उसके खिलाफ दर्ज मामलों की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा सके। वहीं माल्या ने अपनी दलीलों में किंगफिशर एयरलाइंस के विफल होने के लिए भारत सरकार की नीतियों को जिम्मेदार बताया था।
रिपोर्टों में कहा गया है कि हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद अब माल्या के पास 14 दिन का समय होगा जब वह सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका दाखिल कर सकता है। यदि वह समय से याचिका दाखिल नहीं कर पाता तो उसको भारत प्रत्यर्पित किए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट से भी याचिका खारिज होने के बाद प्रत्यर्पण पर आखिरी फैसला ब्रिटेन के गृह मंत्रालय को लेना है। फिलहाल ब्रिटिश गृहमंत्रालय की जिम्मेदारी भारतवंशी प्रीति पटेल संभाल रही हैं।