New Delhi : कोरोना आपदा और लॉकडाउन ने भले दर्द असहनीय दिये हों, लेकिन इसने हमें इंसान भी बना दिया है। सब अपने अपने हिस्से की इंसानियत निभा रहा हैं। कोई भूखे को खाना खिला रहा है तो कोई अपनी जानपर खेलकर दूसरे लोगों की जान बचा रहा है। बिहार के नालंदा में एक जज साहेब ने भी कुछ ऐसा ही किया जो अपने आप में एक मिसाल है।
बिहार के नालंदा जिले के बिहारशरीफ में चोरी के आरोप में एक नाबालिग को किशोर न्यायालय में पेश किया गया। उसने भूख से तड़प रही मां के लिए खाना जुटाने के लिए पिछले दिनों चोरी की थी। जज को यह बात पता चली तो उन्होंने आरोपी को सजा की बजाय राशन और उसकी विक्षिप्त मां के लिये कपड़े दिलवाये और इंसाफ किया।
पुलिस ने इस्लामपुर में रहने वाले नाबालिग को गिरफ्तार कर जज मानवेंद्र मिश्र की कोर्ट में पेश किया था। उन्होंने किशोर की मजबूरी समझते हुए उसे आरोपों से मुक्त कर दिया। साथ ही अधिकारियों को उसे हर संभव मदद और सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ देने का आदेश दिया। अदालत ने हर 4 महीने में किशोर से जुड़ी प्रगति रिपोर्ट सौंपने के निर्देश पुलिस को दिये हैं। इसके अलावा जज ने बीडीओ को परिवार को राशन कार्ड, सभी सदस्यों के आधार कार्ड, किशोर की मां को विधवा पेंशन, गृह निर्माण के लिए अनुदान राशि समेत सभी जरूरी दस्तावेज तैयार कराने के लिए कहा है।
किशोर के पिता की कुछ साल पहले मौत हो चुकी है। इसके बाद उसकी मां विक्षिप्त हो गई। मां की स्थिति ऐसी है कि वह पूरी तरह से बेटे पर निर्भर है। किशोर का एक छोटा भाई भी है। परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी किशोर पर है। परिवार एक झोपड़ीनुमा घर में रहता है और उनके सामने खाने-पीने का संकट है।