New Delhi : कोरोना आपदा और लॉकडाउन से ऐसे तो विश्व के ज्यादातर मुल्क परेशान हैं, लेकिन कुछ देश ऐसे भी हैं जहां इसकी वजह से जीवन एक अलग तरह की त्रासदी बन गई है। ऐसे ही देशों में से एक है थाईलैंड। बेंकाक, पटाया। नाम तो सुना ही होगा। अपनी रंगीन रातों की वजह से थाईलैंड के ये शहर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं। मगर जब से कोरोना हुआ है यहां का धंधा जीरो हो गया है।
थाईलैंड की लगभग आधी से अधिक आबादी टूरिज्म और जिस्म के कारोबार पर निर्भर है। कोरोना आपदा के बाद से न तो यहां पर्यटक फटक रहे हैं और न ही जिस्म का कारोबार चल रहा है। सारे नाइट क्लब, पब आदि ऐशोमौज के ठिकाने बंद पड़े हैं। यहां लोगों के पास कैश नहीं रह गया है। अमूमन यहां लोग कैश रखते ही नहीं हैं। यहां की सामाजिक सभ्यता में कैश रखने की आदत नहीं रही है। खाओ पीओ एैश करो के फॉर्मूले पर पूरा देश चलता है। कोई कैश नहीं रखता। कोरोना वायरस संकट के कारण यहां की अर्थव्यवस्था बदहाल है। नकदी की कमी से निपटने के लिए लोग सोना बेच रहे हैं। सोना इस समय अच्छे दाम पर बिक भी रहा है। अमेरिका के अगुवाई में वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्थाओं को फिर से मजबूत करने के लिए अरबों डॉलर के प्रोत्साहन उपायों के बीच मंगलवार को सोने का भाव 1,731.25 डॉलर प्रति औंस के सात साल के उच्चतम स्तर को छू गया।
कई थाईलैंडवासी अच्छे समय में निवेश के रूप में सोने के आभूषण खरीदते हैं और जब कीमतें बढ़ती हैं या आर्थिक दिक्कत का वक्त होता है उस वक्त इसकी बिक्री कर देते हैं। बैंकाक में जहां एक पखवाड़े से लॉकडाउन की स्थिति है, वहां भी सैकड़ों की संख्या में लोग सोने की कीमत में 20 प्रतिशत की तेजी का लाभ उठाने के लिए बैंकॉक के चाइनाटाउन, याओवरट आ रहे हैं, जहां वे अपने कंगन, हार और अंगूठियां बेच रहे हैं। हालांकि उनकी मजबूरियों को देखकर ऐसा तय कर पाना मुश्किल है कि उनको सही कीमत मिल रही है या नहीं लेकिन इतना तय है कि सोने के कारोबार से जुड़े लोग जरूर मालामाल हो रहे हैं।
सड़क किनारे खोमचा लगाने वाले 39 वर्षीय तनकम प्रॉमियूयेन ने कहा – मेरे पर कोई बचत नहीं है। इसलिए मैंने पास पड़ा सोना बेचने का निश्चय किया है ताकि इस कठिन समय में जीवन चलाने के लिए कुछ नकदी मिल सके। ट्रेड एसोसिएशन के अध्यक्ष जित्ती तांगसिटपाकडी ने कहा कि व्यापारियों ने यहां करोड़ो डॉलर का सोना खरीदा है।
इधर थाईलैंड में पर्यटन उद्योग पर कोरोना वायरस का असर पड़ने की वजह से करीब दो हज़ार हाथियों की स्थिति खराब है। पर्यटन उद्योग ठप होने की वजह से हाथियों के मालिकों के पास इनके खाने-पीने का इंतज़ाम कर पाना कठिन हो गया है। पाबंदियों की वजह से फुकेट और थाईलैंड के दूसरे हाथी अभ्यारण्य में पर्यटकों का आना पूरी तरह से बंद हो चुका है। सैलानियों को सैर कराने वाले हाथी अपने कैंप में बंद हैं और उनके मालिकों के लिए दो वक्त के खाने का इंतज़ाम कर पाना मुश्किल हो गया है। ऐसे में पूरे देश मे हज़ारों हाथियों के सामने ज़िंदगी का संकट गहरा गया है। अकेले फुकेट में 28 कैंप बंद होने की वजह से 280 हाथियों पर संकट खड़ा हो गया है।