New Delhi : इंदौर में भीड़ से जान बचाकर भागी महिला डॉक्टर ने जो आपबीती बताई है, वह डराने वाली है। उन्होंने कहा कि अगर पुलिस साथ न होती, तो उनका बचना भी नामुमिकन था। भीड़ के हमले में बाल-बाल बचीं डॉक्टर अभी तक खौफ में हैं। बंद शहर में घर से निकल सफाई में जुटे इंदौर का एक सफाई कर्मी भी भीड़ के इस रुख से हैरान है। उसका सवाल था- आखिर हमारा कसूर क्या है? कुछ इसी तरह की रूह कंपा देने वाली घटना बेंगलुरु की उस आशा वर्कर ने भी बताई जो, भीड़ के हमले में बाल-बाल बचीं।
इंदौर में कोरोना संदिग्धों की जांच करने गईं स्वास्थ्य विभाग की टीम पर एक समुदाय विशेष ने हमला कर दिया था। टीम में शामिल महिला डॉक्टर ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि कैसे उन्होंने और उनके साथ शामिल महिला डॉक्टर, एनएनएम और आशा कार्यकर्ता में भागकर अपनी जान बचाई।
उन्होंने बताया – हमें पॉजिटिव कॉन्टेक्ट की हिस्ट्री मिली थी, इसलिए हम वहां गए थे। हम लोगों ने जैसे ही पूछताछ शुरू की, उन लोगों ने पत्थर फेंकने शुरू कर दिए। मेरे साथ डॉक्टर जाकिया भी थीं। हमारे साथ एएनएम और आशा कार्यकर्ता भी थीं। साथ में तहसीलदार भी थे।
उन्होंने कहा कि यह तो अच्छा था कि हमारे साथ में पुलिस फोर्स थी। हम बचकर आ गए, वरन बच नहीं सकते थे। दरअसल, इंदौर कोरोना महामारी के हॉटस्पॉट के रूप में उभरा है, इसलिए यहां सरकार और स्थानीय प्रशासन भी ज्यादा सक्रिय है। लेकिन, बुधवार को स्वास्थ्य विभाग का एक टीम रानीपुरा क्षेत्र में बीमार महिला के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए गई थी, तभी कुछ लोगों ने टीम पर पथराव कर दिया। रानीपुरा क्षेत्र में चिकित्सा विभाग का दल टाट पट्टी बाखल में कुछ महिलाओं को चेकअप के लिए साथ लेकर अस्पताल पहुंची थी। इसका स्थानीय लोगों ने विरोध किया और पुलिस के बैरिकेड तोड़कर टीम पर पथराव कर दिया।
डॉक्टर की आपबीती बताती है कि लोगों को अचानक भड़काया गया। उन्होंने बताया – शुरू में सभी लोग शांति के साथ स्क्रीनिंग करवा रहे थे। फिर अचानक न जाने क्या हुआ। वह बताती हैं – इस अचानक हुए हमले से हम बहुत डर गए थे। हमारे पैरों पर जोर-जोर से पत्थर पड़ने लगे थे। सर किसी तरह से कार में बिठाकर मौके से बचाकर ले गए।
सफाई कर्मचारी कुलदीप ने बताया, ‘रविदासपुरा के कोने पर पूरा पानी भर दिया था। हम वहां काम कर रहे थे, पानी खिंचवा रहे थे। नाली का पानी पूरी सड़क पर आ गई थी। पूरा पानी खिंचवाके आगे का काम कर ही रहे थे और लोगों ने हमें मारके भगा दिया। पता नहीं, मारकर क्यों भगा दिया।’ उन्होंने कहा कि पत्थरबाजी भी हुई। उनके साथी ने भी कहा कि पत्थरबाजी हुई और जब हुई तो हम वहां से निकल गए। हमारी गाड़ी अभी वहीं खड़ी है।
उधर, कर्नाटक के बेंगलुरु में आशा वर्कर्स लोगों में कोरोना वायरस की जागरूकता फैलाने और सर्वे करने निकली थीं। वहां, उनके ऊपर हमला कर दिया गया। आशा वर्कर कृष्णावेनी उस खौफनाक वाकये को याद कर बताती हैं – मैं पिछले 5 सालों से आशा वर्कर हूं। कोरोना वायरस के खिलाफ जागरूकता पैदा करने के लिए हम पिछले 10 दिनों से घर-घर जा रहे हैं। हम परिवारों के ब्योरे एकत्र करते हैं। सादिक इलाके में सर्वे के दौरान एक व्यक्ति ने डीटेल देने से इनकार कर दिया। हमने उन्हें कोविड-19 के बारे में बताया। इसके बाद मस्जिद से घोषणा हुई। फिर लोग अपने घरों से बाहर निकले और हमारे साथ बदसलूकी की।
इंदौर के कलेक्टर ने कहा है कि सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने के लिए 5 कंपनी फोर्स बुलाई गई है। टाटपट्टी बाखल में मेडिकल स्टाफ के साथ बदतमीजी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि ऐसी घटना बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जो हमारा हेल्थ स्टाफ है वो रोज 18-20 घंटे काम कर रहा है। इस तरह की घटना बेहद गलत है। जिन लोगों ने ये किया है वे लंबा जेल में रहेंगे, जल्दी छूटने वाले नहीं हैं।