New Delhi : जोधपुर जेल में रेप और हत्या के आरोपी आसाराम समेत एक हजार से ज्यादा कैदियों ने बाहर निकलने के लिए भूख हड़ताल शुरू कर दी है। आसाराम जेल अधीक्षक से बोला – प्लीज हमें घर जाने दो नहीं तो हमें भी कोरोना हो जायेगा। हम यही मर जायेंगे।
कैदियों की मांग है कि जेल में कोरोना फैलने से पहले उन्हें पेरोल पर रिहा किया जाए, ताकि वे सेल्फ आइसोलेशन में रह सकें। जोधपुर जेल में इस वक्त 1355 कैदी बंद हैं। इसमें से1200 कैदी भूख हड़ताल पर हैं। जेल प्रशासन का कहना है कि किसी को रिहा करना उनके हाथ में नहीं है। यह फैसला राज्य सरकार ही कर सकती है।
जोधपुर जेल में कई हाईप्रोफाइल मामलों से जुड़े अपराधी बंद हैं। इनमें से आसाराम जैसे कई कैदियों को सजा सुनाई जा चुकी है, जबकि बहुचर्चित भंवरी प्रकरण से जुड़े पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा का मामला कोर्ट में विचाराधीन है। जेल के डॉक्टर जगत चौधरी का कहना है कि गुरुवार को करीब एक हजार कैदियों ने भोजन नहीं किया। इनमें से आसाराम भी शामिल है। बुधवार को आसाराम ने सिर्फ नाश्ता ही लिया था। उन्होंने दावा किया कि आसाराम की नियमित जांच की गई और उनकी तबीयत एकदम ठीक है। जबकि महिपाल मदेरणा भूख हड़ताल में शामिल नहीं है। डॉ. चौधरी का भी दावा है कि जेल में हमेशा सभी की जांच की जाती है और हालात पूरी तरह से नियंत्रण में हैं।
कुछ कैदियों ने जेल से सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दावा किया कि जेल की स्थिति खराब है। बाहर से आने वाले नए कैदियों के कारण कभी भी कोरोना फैल सकता है। जेल अधीक्षक कैलाश त्रिवेदी ने कहा – बाहर से ज्यादा एहतियात जेल में बरती जा रही है। जेल में आने वाले नए बंदियों की जांच की जा रही है। सैनिटाइज करने के बाद उन्हें दस दिनों के क्वारैंटाइन रखा जा रहा है। ऐसे में कोरोना फैलने की आशंका नहीं है। इन बंदियों का एक ही मकसद है कि राज्य सरकार हमें रिहा कर दे।
दरअसल, कोरोना संक्रमण को देखते हुए महाराष्ट्र और पंजाब सरकार ने जेल से मामूली अपराध में बंद कैदियों को रिहा करने का फैसला लिया है। महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने जेलों में भीड़ कम करने के लिए 11 हजार सजायाफ्ता और विचाराधीन कैदियों को आपात पेरोल और फर्लो देने का आदेश दिया है। वहीं, पंजाब में भी प्रदेश के जेल मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने बताया कि जेलों में महामारी को रोकने के लिए पूरे प्रदेश से छह हजार कैदी छोड़े जाएंगे। ये वो कैदी होंगे, जिन्हें सात साल से कम सजा हुई है।