मां चल बसी लेकिन डॉक्टर बेटा फिर भी अपनी ड्यूटी पर कोरोना मरीज़ों को देखने पहुंचा

New Delhi :  देश में कोरोनावायरस संक्रमितों की संख्या 471 हो गई है। संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए 30 राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों ने कंपलीट लॉकडाउन की घोषणा की है। l देश के 577 जिले इस दायरे में आते हैं। वहीं, महाराष्ट्र, पंजाब, पुड्डूचेरी औरराजस्थान में कर्फ्यू लगाने की घोषणा की गई है। स्कूल, कॉलेज, शहरकोरोना के कारण सब बंद। लोगों को घर से काम करने कीअनुमति मिल गई है लेकिन डॉक्टर्स, पुलिसकर्मी, सफाईकर्मी इनका क्या। ये बाहर ही हैं, हमारी मदद करके इंसानियत की मिसालस्थापित कर रहे हैं।

बहरहाल एक खबर है ओडिशा से। यहां के एक डॉक्टर साहब की मां चल बसी लेकिन वो फिर भी उसी दिन अपनी ड्यूटी पर पहुंचे।

इंडिया टाइम्सके मुताबिक, 17 मार्च के दिन संबलपुर के सहायक संभागीय चिकित्सा अधिकारी डॉ. अशोक दास ने अपनी 80 वर्षीयमां पद्मिनी दास को खो दिया।

इस मुश्किल के समय में भी अशोक दास अपनी ड्यूटी पर पहुंचे। उनकी ड्यूटी जिले में नोडल अधिकारी के तौर पर थी।

डॉ. अशोक ने कई बैठकों में भाग लिया। लोगों के बीच जाकर उन्हें कोरोना से निपटने के लिए उपाए बताए। यहां तक कि जिले के मुख्यसरकारी अस्पताल भी गए। हालातों का भी जायजा लिया। शाम को ड्यूटी का सारा काम निपटाकर वो घर लौटे और मां का अंतिमसंस्कार किया। डॉ. अशोक ने कहा कि इस वक्त छुट्टी से ज्यादा जरूरी अपनी ड्यूटी करना है और उन्होंने वही किया।

ओडिशा के ही आईएएस ऑफिसर निकुंज धल ने भी इस सरीखे की एक मिसास पेश की थी। उनके पिता का निधन हो गया था। वो 24 घंटे के अंदर ही अपने काम पर लौट गए। उन्हें राज्य के प्रिंसिपल सेक्रेटर हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर की जिम्मेदारी दी गई है। कोरोनावायरस की इस जंग में निकुंज और अशोक जैसे अधिकारियों को सलाम करना तो बनता है।

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