New Delhi : तत्कालीन Chief Justice of india Deepak Mishra के खिलाफ Ex CJI Ranjan Gogoi की प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनकेसाथ मौजूद रहे Justice Kurian Josepah ने भी रंजन गोगोई को राज्यसभा सदस्य बनाये जाने पर सवाल उठाए हैं.
जस्टिस कुरियन ने कहा – देश के एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश की ओर से राज्यसभा सदस्य के रूप में नामित किए जाने की स्वीकृति नेनिश्चित रूप से न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर आम आदमी के विश्वास को हिला दिया है. जस्टिस गोगोई ने न्यायपालिका की स्वतंत्रताऔर निष्पक्षता के सिद्धांतों से समझौता किया है.
Is it “quid pro quo”?
How will people have faith in the Independence of Judges ? Many Questions pic.twitter.com/IQkAx4ofSf— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) March 16, 2020
उन्होंने कहा कि हमने राष्ट्र के लिए अपने ऋण और दायित्व का निर्वहन किया है, 12 जनवरी 2018 को हम तीनों के साथ न्यायमूर्ति रंजनगोगोई ने यह बयान दिया था. जस्टिस कुरियन ने कहा कि मुझे आश्चर्य है कि कैसे न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने उस समय एक बार स्वतंत्रताको बनाए रखने के लिए दृढ़ विश्वास के साथ ऐसे साहस का प्रदर्शन किया था. उन्होंने कहा कि जिस पल लोगों का यह विश्वास हिलताहै, उस पल यह धारणा प्रबल होती है कि न्यायाधीशों के बीच एक वर्ग पक्षपाती है या आगे देख रहा है. जस्टिस कुरियन ने कहा कि ठोसनींव पर न्यायपालिका को पूरी तरह से स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाने के लिए ही साल 1993 में सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम प्रणाली पेश कीथी.
Threat to judiciary's independence at large: Justice Joseph on Gogoi's RS nomination
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उन्होंने कहा कि मेरे साथ न्यायमूर्ति चेलमेश्वर, रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर देश को यह बताने के लिए सामने आए किइस आधार पर खतरा है और अब मुझे लगता है कि खतरा बड़े स्तर पर है. जस्टिस कुरियन ने कहा कि यही कारण था कि मैंने रिटायरमेंटके बाद कोई पद नहीं लेने का फैसला किया. बता दें कि रंजन गोगोई के मनोनयन पर विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है.
राष्ट्रपति Ramnath Kovind ने सोमवार को पूर्व चीफ Chief Justice of India (CJI) Ranjan Gogoi का नाम राज्यसभा के लिएमनोनीत किया. इसके बाद से राजनीतिक गलियारे में उथल–पुथल मच गई है. मंगलवार को इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व CJI Ranjan Gogai ने कहा कि शपथ ग्रहण के बाद इसका जवाब दूँगा.
Justice H R Khanna remembered for :
1) his integrity
2)standing up to govt.
3) upholding rule of lawRanjan Gogoi for
lapping up a Rajya Sabha nomination for
1) being saved by govt.
2) standing in line with it
3) compromising his own and the integrity of the institution— Kapil Sibal (@KapilSibal) March 17, 2020
उन्होंने कहा – मैं संभवतः कल 18 मार्च को दिल्ली जाऊंगा… मुझे शपथ ग्रहण करने दीजिए, फिर विस्तार से मीडिया को बताऊंगा कि मैंनेराज्यसभा की सदस्यता क्यों स्वीकार की…
पूर्व CJI रंजन गोगोई 17 नवंबर 2019 को उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त हुए थे. उनके सेवानिवृत्त होने सेपहले उन्हीं की अध्यक्षता में बनी पीठ ने अयोध्या मामले तथा कुछ अन्य महत्वपूर्ण मामलों में फैसला सुनाया था.
वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने को लेकरमंगलवार को दावा किया कि गोगोई न्यायपालिका और खुद की ईमानदारी से समझौता करने के लिए याद किए जाएंगे. कपिल सिब्बलने ट्वीट किया – न्यायमूर्ति एच आर खन्ना अपनी ईमानदारी, सरकार के सामने खड़े होने और कानून का शासन बरकरार रखने के लिए यादकिए जाते हैं. न्यायमूर्ति गोगोई राज्यसभा जाने की खातिर सरकार के साथ खड़े होने और सरकार एवं खुद की ईमानदारी के साथसमझौता करने के लिए याद किए जाएंगे.
AIMIM के चीफ़ असादुदीन ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश Ranjan Gogoi के राज्यसभा सदस्य बनाये जाने केफ़ैसले पर सवाल उठाते हुए कहा – क्या यह “क्विड प्रो क्वो” है? लोगों को न्यायाधीशों की स्वतंत्रता में विश्वास कैसे होगा? बड़ा सवाल? 13 महीने तक CJI रहे Ranjan Gogoi ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण करने का आदेश दिया था.
Ranjan Gogoi ke faisaloun se BJP ko political faida hua hai aur Gogoi ne khud kaha tha ke retirement ke baad appointment nahi hona chahiye @asadowaisi https://t.co/PSxlxmyHdR
— AIMIM (@aimim_national) March 17, 2020
वहीं कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने राज्य सभा का सदस्य नामित किए जाने की खबर को अपने ट्विटर हैंडल पर पोस्ट करतेहुए लिखा, ‘यह तस्वीरें सब बयां करती हैं’.
वहीं कांग्रेस नेता संजय झा ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, ‘रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किया गया. नो कमेंट्स’.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने लिखा, ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा. (सुभाष चंद्र बोस )
तुम मेरे हक में वैचारिक फैसला दो मैं तुम्हें राज्यसभा सीट दूंगा.’ वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने लिखा, ‘मुझे आशा है कि रंजनगोगोई की समझ अच्छी है इसलिए वो इस ऑफर को ना कह देंगे. नहीं तो न्याय व्यवस्था को गहरा धक्का लगेगा.’
इससे पहले पूर्व जस्टिस रंगनाथ मिश्रा भी कांग्रेस से जुड़कर संसद सदस्य बन चुके हैं. वहीं, पूर्व सीजेआई पी.सतशिवम को मोदी सरकारने केरल का पहला राज्यपाल बनाया था.
By accepting the RS nomination Ranjan Gogoi has driven the last nail in the coffin of an independent judiciary in India. Shame, shame. Modi hai to sambhav hai.
— Yashwant Sinha (@YashwantSinha) March 17, 2020
रिटायर होने से पहले जस्टिस गोगोई ने 10 दिन में दिए थे 5 महत्वपूर्ण फैसले; 3 सरकार के पक्ष में
पहला फैसला: अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद मामले में जस्टिस रंजन गगोई की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधानपीठ ने विवादित भूमि पर राम मंदिर बनाने का फैसला दिया. मुस्लिमों को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन दूसरी जगह दिए जानेका भी आदेश दिया.
दूसरा मामला: राफेल विमान सौदे में लगे घोटाले के आरोपों को लेकर जस्टिस गोगोई ने मोदी सरकार को बड़ी राहत दी. सीजेआई कीअगुवाई वाली बेंच ने राफेल मामले में दायर हुईं सभी पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया था.
तीसरा फैसला: सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को ‘चौकीदार चोर है’ वाले बयान पर माफी मांगने को कहा था. इस मामले में भाजपाप्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने याचिका दाखिल की थी.
चौथा फैसला: सबरीमाला मंदिर महिलाओं के प्रवेश को लेकर था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 2018 के फैसले को बरकरार रखा थाऔर मामला सात सदस्यीय संविधान पीठ को भेज दिया था.
पांचवा मामला : वित्त कानून-2017 के संशोधन को लेकर था. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यी पीठ नेकानून में संशोधनों को लेकर रोक लगा दी थी और मामला सात सदस्यीय पीठ को भेज दिया था.