New Delhi : पूजा पाठ करने वाले और भक्ति भाव में लीन लोग शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी को पूजते हैं। हिंदू मान्यता के अनुसारशुक्रवार को लक्ष्मी का पूजन करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में धन की वर्षा होती है। वे लोग जो आर्थिक तंगी का सामना कररहे होते हैं शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी का पूजन करते हैं। इस दिन मां के हर स्वरूप की पूजा हो सकती है। आइये जानते हैं लक्ष्मी, दुर्गा, और संतोषी मां की आराधना का महत्व। इस दिन मिठाईका दान किया जा सकता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार लगातार 16 शुक्रवार के दिन व्रत रखना बेहद फायदेमंद साबित होता है।इस दिन सफेद रंग के वस्त्र पहनना भी शुभ माना जाता है।
When I want to connect with my inner beauty, I start my meditation focusing on the goddess Lakshmi.
Cuando quiero conectarme con mi belleza interior, comienzo mi meditación enfocándome en la diosa Lakshmi.#innerbeauty#hinduism#lakshmi pic.twitter.com/0gfNm5HDFO— Salma Hayek (@salmahayek) October 7, 2020
शक्ति और दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए यह दिन बहुत अच्छा होता है।शुक्रवार का व्रत कुछ लोग संतान की प्राप्ति के लिए तो कुछ खुशहाल जीवन के लिये करते हैं। बाधाओं को दूर करने के लिए शुक्रवारका व्रत लाभकारी है। शुक्रवार का दिन मां दुर्गा और लक्ष्मी का दिन है। इस दिन मां की पूजा करने और उनके मंत्रों का जाप करने का विशेष महत्व होता है।आप शुक्रवार के दिन का आरंभ ‘ऊं श्री दुर्गाय नमः’ के जाप के साथ कर सकते हैं। मां दुर्गा का यह मंत्र मां लक्ष्मी, सरस्वती और कालीतीनों शक्तियों की उपासना के लिए है। दुर्गा जी की पूजा के लिए सबसे पहले माता दुर्गा की मूर्ति से उनका आवाहन करें। अब माता दुर्गाको स्नान कराएं। स्नान पहले जल से फिर पंचामृत से और वापिस जल से स्नान कराएं। अब माता दुर्गा को वस्त्र अर्पित करें। इसके बादउन्हें आसन पर स्थापित करें, फिर आभूषण और पुष्पमाला पहनाएं। अब इत्र अर्पित करें व तिलक करें। तिलक के लिए कुमकुम, अष्टगंध का प्रयोग करें। इसके बाद धूप व दीप अर्पित करें। ध्यान रहे कि मां दुर्गा के पूजन में दूर्वा अर्पित नहीं की जाती है। मां को लालगुड़हल के फूल अर्पित करें।
11 या 21 चावल चढ़ायें और श्रद्धानुसार घी या तेल के दीपक से आरती करें। अब नेवैद्य अर्पित करें। पूजन के पूरा होने पर नारियल काभोग अवश्य लगाएं।10-15 मिनट के बाद नारियल को फोड़े और उसका प्रसाद देवी को अर्पित करने के बाद सबमें बांट कर स्वयं भीग्रहण करें। मां लक्ष्मी की पूजा सफेद या गुलाबी वस्त्र पहनकर करनी चाहिए। इनकी पूजा का उत्तम समय मध्य रात्रि होता है। मां लक्ष्मी की उसीप्रतिकृति की पूजा करनी चाहिए, जिसमें वह गुलाबी कमल के पुष्प पर बैठी हों। साथ ही उनके हाथों से धन बरस रहा हो। मां लक्ष्मी कोगुलाबी पुष्प, विशेषकर कमल चढ़ाना सर्वोत्तम रहता है। कहते हैं मां लक्ष्मी के मन्त्रों का जाप स्फटिक की माला से करने पर वह तुरंतप्रभावशाली होता है। शुक्रवार को लक्ष्मी जी उपासना करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
Rarest Video of #rathyatra of Puri on year 1992 .
Take a Darshan of Maa Laxmi Thakurani n Our Gajapati Maharaj . #odisha @BBSRBuzz @sjta_puri @Shawshanko @jyotsnadevi33 @snshindol @PramodpandaVk @Sandy49363539 @IamanODIA @indiainmedan @arvindpadhee @AMITABHTHAKUR21 @tanaya_p pic.twitter.com/ICcRNNIAuI
— Prashant Sahu (@suryanandannet) September 24, 2020
शुक्रवार को देवी के इस स्वरूप की भी पूजा होती है। सुख–सौभाग्य की कामना से संतोषी मां के 16 शुक्रवार तक व्रत किए जाने काविधान है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर घर की सफ़ाई इत्यादि पूर्ण कर लें। स्नानादि के बाद घर में किसी पवित्र जगह पर मातासंतोषी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। उनके सम्मुख जल से भरा कलश रखें और उस के ऊपर एक कटोरा गुड़ चना भर कर रखें।माता के समक्ष घी का दीपक जलाएं, फिर अक्षत, फ़ूल, इत्र, नारियल, लाल वस्त्र या चुनरी अर्पित करें। देवी को गुड़ चने का भोग लगायेंऔर कथा पढ़ कर आरती करें। कथा समाप्त होने पर हाथ का गुड़ चना गाय को खिला दें। कलश पर रखे गुड़ चने का प्रसाद सभी कोबांटें। कलश के जल को घर में सब जगहों पर छिड़कें और बचा हुआ जल तुलसी की क्यारी में डाल दें। ध्यान रहे इस व्रत को करने वालेको ना तो खट्टी चीजें हाथ लगाना है और ना ही खाना है।