New Delhi : PM Modi के व्यक्तिगत प्रयासों से दुर्गम कैलाश मानसरोवर यात्रा अब आसान होनेवाली है। मानसरोवर के लिये अभीलोगों 79 किलोमीटर पैदल यात्रा करनी पड़ती है लेकिन घटियाबगर से लिपूलेख के बीच करीब 60 किमी लंबी सड़क तैयार हो गई है।इस सड़क के बन जाने से लोग अब गाड़ियों से मानसरोवर तक जा सकेंगे।
फ़िलहाल सिर्फ़ 4 किलोमीटर के सड़क का निर्माण बाक़ी है। इसका निर्माण इसी साल पूरा हो जायेगा।
मानसरोवर का उत्तराखंड वाला रास्ता सुगम होने जा रहा है। इस रास्ते पर पहले छह दिन में 79 किमी पैदल यात्रा करनी पड़ती थी। अबयह सफर वाहन से तीन दिन में पूरा कर सकेंगे। यहां सड़क निर्माण लगभग पूरा हो गया है। यात्री अल्मोड़ा या पिथौरागढ़ होते हुए चीनसीमा से लगे लिपूलेख तक गाड़ियों से पहुंच सकेंगे।
कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए सड़क का निर्माण 2007 में घटियाबगर से शुरू हुआ था, पर 2014 तक निर्माण की गति बहुत धीमीरही। काम तेज करने के लिए चीन सीमा से लगे गुंजी से भी सड़क बनाने की योजना बनाई गई, लेकिन यह कठिन था। इसमें सबसे बड़ीचुनौती 14 हजार फीट ऊंचाई पर गूंजी तक उपकरणों को पहुंचाना था। जेसीबी, बुलडोजर, रोड रोलर जैसे भारी उपकरणों के पार्ट्सगूंजी तक हेलीकॉप्टर से पहुंचाए गए। वहां इंजीनियरों ने इन्हें असेंबल कर मशीनें बनाईं। तब दोनों ओर से सड़क निर्माण शुरू हुआ।इंजीनियर, मजदूर बढ़ाए गए, जिससे काम तेजी से हो रहा है।
घटियाबगर से लिपुलेख तक 64 किमी सड़क बनाना है। इसमें मालपा से बूधी तक 4 किमी सड़क निर्माण बचा है। अप्रैल तक बर्फबारीके कारण काम बंद रहेगा। उसके बाद काम पूरा किया जाएगा। कैलाश मानसरोवर यात्रा के इस मार्ग से 1981 में यात्रा शुरू हुई थी।यात्रियों को खतरनाक पहाड़ियों से गुजरना पड़ता रहा है। नए रास्ते से यात्रा में समय बचेगा। आईटीबीपी के 7वीं बटालियन मिर्थी– उत्तराखंड के कमांडेंड अनुप्रीत बोरकर कहते हैं– नए रास्ते से हमें भी फायदा है, क्योंकि यात्रा के दौरान कई जवानों की तैनाती करनीपड़ती है। सड़क बनने के बाद इन्हें अन्य जगह तैनात किया जा सकेगा।
यात्रा उत्तराखंड के धारचूला से शुरू होती है। यहां से मंगती नाला तक 35 किमी गाड़ियों से जाते हैं। उसके बाद पहले दिन जिप्ती–गालातक 8 किमी पैदल चलते हैं। यहां रात में रुककर दूसरे दिन 27 किमी चलकर बूधी, तीसरे दिन 17 किमी चलकर गूंजी पहुंचते हैं। यहां दोरातें रुकते हैं। यहीं मेडिकल जांच और मौसम से तालमेल होता है। 5वें दिन 18 किमी चलकर नबीडांग पहुंचते हैं। छठे दिन 9 किमीचलकर लिपूलेख होते हुए चीन में प्रवेश करते हैं।
अब धारचूला से पहले दिन 6 घंटे में वाहनों से बूधी जाएंगे। अगले दिन 3 घंटे में गाड़ियों से गूजी पहुंचेंगे। दूसरी रात यहीं बितानी होगी।मेडिकल जांच के बाद तीसरे दिन लिपूलेख होकर चीन पहुंचेंगे। चीन में 80 किमी सड़क यात्रा के बाद कुगू पहुंचेंगे। वहां से मानसरोवरकी ओर बढ़ेंगे। दिल्ली से यात्रा (2700 किमी) शुरू कर वापस आने में 16 दिन लगेंगे। पहले 22 दिन लगते थे।
नेपाल के रास्ते भी मानसरोवर यात्रा पर जा सकते हैं। भारत और चीन सरकार के बीच इस मार्ग पर कोई अनुबंध नहीं है। उत्तराखंड और सिक्किम वाले मार्ग से सिर्फ भारतीय यात्री ही मानसरोवर जाते हैं। यह यात्रा काठमांडू से शुरू होती है। निजी टूर ऑपरेटर अपनी सुविधासे रूट तय करते हैं। काठमांडू से मानसरोवर तक का सड़क मार्ग करीब 900 किमी लंबा है।
यात्री दिल्ली से सिक्किम की राजधानी गंगटोक पहुंचते हैं। यहां से 55 किमी दूर नाथूला दर्रा जाते हैं। नाथूला से चीन में प्रवेश के बादनग्मा, लाजी और जोंग्बा तक की यात्रा छोटी बसों से होती है। जोंग्बा से मानसरोवर के तट पर स्थित कुगू तक पहुंचते हैं। यानी दिल्ली से2700 किमी की यात्रा कर यात्री मानसरोवर परिक्रमा मार्ग पहुंचते हैं। अाने–जाने में 20 दिन का समय लगता है।