New Delhi : UPSC की परीक्षा का रिजल्ट कई प्रेरणादायक Success Story लेकर सामने आती हैं। ऐसी ही कहानी है हरियाणा केबाहदुरगढ़ के रहने वाली Preeti Hooda की। प्रीति हुड्डा के पिता दिल्ली परिवहन निगम (DTC) में बस चलाते थे। प्रीति के मुताबिकउनके पिता को उनके आईएएस बनने की खबर बस चलाते हुए मिली थी। प्रीति ने साल 2017 में यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में 288वीं रैंक हासिल की थी। प्रीति ने दिल्ली के जवाहर लाल नेहरूयूनिवर्सिटी से हिंदी में पीएचडी की थी। प्रीति ने बीबीसी हिंदी से बातचीत में बताया कि वह हरियाणा के साधारण परिवार से हूं। मेरेपिता दिल्ली डीटीसी की बस चलाते हैं।
IAS बनने का सपना उनके पापा का था। उन्होंने कहा जब मेरा UPSC का रिजल्ट आया तो मैंने पापा को फोन किया। उस वक्त मेरेपापा बस चला रहे थे। रिजल्ट सुनने के बाद पापा बोले– शाबाश मेरा बेटा। मेरे पिता मुझे कभी शाबासी नहीं देते थे।
दैनिक भास्कर से बातचीत में प्रीति ने बताया था कि उसका इंटरव्यू लगभग 35 मिनट चला था, जिसमें करीब 30 सवाल पूछे गए थे।प्रीति ने इंटरव्यू भी हिंदी में दिया था और उसका विषय भी हिंदी ही था। – प्रीति 3 सवालों के जवाब नहीं दे पाई, लेकिन उन्होंने अपनाकॉन्फिडेंस कम नहीं होने दिया। – प्रीति जेएनयू से पीएचडी कर रही है। उसके इंटरव्यू में भी जेएनयू से जुड़े सवाल पूछे गए थे।
जेएनयू से पीएचडी करने के कारण उनसे जेएनयू से जुड़े सवाल ही पूछे गए थे। प्रीति से पूछा गया कि– आप जेएएनयू से पढ़ी रही हैं, इसयूनिवर्सिटी की इतनी निगेटिव इमेज क्यों हैं। इसके जवाब में प्रीति हुड्डा ने कहा– जेएनयू सिर्फ निगेटिव इमेज के लिए नहीं जानी जातीहै। इसे भारत की सभी यूनिवर्सिटी में फर्स्ट रैंक मिल चुकी है।
प्रीति हुड्डा ने हिंदी मीडियम से पेपर दिया। इसके अलावा उनका ऑप्शनल सब्जेक्ट भी हिंदी ही था। इसके अलावा उन्होंने अपना पूराइंटरव्यू भी हिंदी में ही दिया है। प्रीति ने बताया कि इंटरव्यू में वह तीन सवालों के जवाब नहीं दे पाई थीं। प्रीति ने 10वीं में 77 प्रतिशतऔर 12वीं में 87 प्रतिशत हासिल किये। प्रीति ने 10वीं में 77 प्रतिशत और 12वीं में 87 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। लक्ष्मी बाई कॉलेजदिल्ली से हिंदी में बैचलर ऑफ आर्ट में 76 प्रतिशत अंक मिले। अब वह जेएनयू से हिंदी में पीएचडी कर रही है।यूपीएससी की तैयारी परप्रीति ने कहा कि लगातार 10 घंटे की तैयारी की बजाय थोड़ा सोचकर दिशा तय करके पढ़ाई कीजिए। तैयारी के साथ–साथ मस्तीकरिए। फिल्में देखिए, कुछ ऐसा जरूर कीजिए, जिससे रिलेक्स हों। बहुत सारी किताबें पढ़ने की बजाय, सीमित पढ़िए, लेकिन बार–बारपढ़िए।
प्रीति बताती हैं – मैं बिल्कुल साधारण परिवार की हूं और संयुक्त परिवार में पली बढ़ी हूं। हमारे यहां खासकर लड़कियों की शिक्षा केबारे में बहुत ध्यान नहीं दिया जाता है। लड़कियों को ग्रेजुएशन करा दो फिर शादी कर दो ऐसी सोच है, लेकिन मेरे माता–पिता ने मुझेउच्च शिक्षा दी और मेरा जेएनयू में एडमिशन कराया।