New Delhi : 28 जनवरी 2010. कनॉट प्लेस, दिल्ली. वह अपने साथियों के साथ शाम को घूमने निकली थी. अचानक उसने पुलिसकंट्रोल रूम फोन कर दिया. दोस्त घबराए, उन्हें पता ही नहीं चला कि हुआ क्या है? उसने कहा, बाइक पर सवार कुछ लड़के तीनलड़कियों का रास्ता रोक रहे हैं. पुलिस तो जब आएगी तब आएगी. जाओ…उन्हें पकड़ो. दोस्त हिचकिचाए. वह खुद बाइक सवारों कीतरफ दौड़ पड़ी. दोस्तों को भी हिम्मत आई. उन्होंने उन लड़कों को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया. वह लड़की DURGA SHAKTI NAGPAL थी. उन दिनों वह आईएएस की ट्रेनिंग ले रही थी.
आज दुर्गा की हिम्मत पर बॉलीवुड फ़िल्म बना रहा है और उनके छोटे बड़े क्षणों को सहेजने में लगा हुआ है. दरअसल रेत माफिया केख़िलाफ़ उनकी हिम्मत और कार्रवाई ने भले उन्हें देशभर में रातोंरात हीरो का दर्जा दे दिया हो लेकिन सच्चाई यह है कि दुर्गा पूरे जीवनअपने नाम के अनुकूल नारी शक्ति की प्रतीक रही हैं. उनके सहपाठियों, बैचमेट्स और रिश्तेदारों का कहना है कि नाइंसाफ़ी औरग़ैरक़ानूनी काम बर्दाश्त करना उनकी खून में ही नहीं है. उनके दादा दिल्ली पुलिस में थे और सदर बाज़ार में लुटेरों से लड़ते हुए शहीद हुएथे.
दुर्गा शक्ति नागपाल का जन्म 25 जून, 1985 को रायपुर (छत्तीसगढ़) में हुआ था. उन्होंने कम्प्यूटर इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की डिग्रीहासिल की. इसके बाद वे आईएएस की परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग क्लास करने दिल्ली आ गईं. दुर्गा के पिता भारतीय सांख्यिकसेवा (ISS) में अधिकारी थे. रिटायरमेंट के बाद नोएडा गरीब परिवार के बच्चों को पढ़ाने का काम करते हैं. दुर्गा ने 2008 में civil service परीक्षा पास की. तब उनका चयन भारतीय राजस्व सेवा (IRS) के लिए हुआ था. इसके बाद दुर्गा ने 2009 में फिर से सिविलसेवा परीक्षा दी. इस बार दुर्गा ने मेरिट लिस्ट में 20वां स्थान पाया. इस बार दुर्गा को पंजाब कैडर दिया गया और उन्हें मोहाली में प्रोबेशनमिला.
दुर्गा का विवाह अभिषेक सिंह से हुआ, जो कि खुद भी एक आईएएस अधिकारी हैं. अभिषेक 2011 बैच के और यूपी कैडर के अधिकारीहैं. विवाह के बाद दुर्गा को भी यूपी कैडर मिल गया.
दुर्गा के इकलौते भाई की किशोरावस्था में ही मृत्यु हो गई थी. उस समय वह आईएएस की तैयारी कर रही थी. यही वजह है कि वह बहुतभावुक है. उनके एक साथी आईएएस अफसर के अनुसार ट्रेनिंग के दौरान जितनी बार वह बाहर घूमने निकलती, उसकी जिद फिल्मदेखने की होती. एक ही फिल्म–थ्री इडियट्स. हर बार फिल्म देखने पर रोती. तब जब राजू रस्तोगी नाम का किरदार तीसरी मंजिल सेकूदता. पूछने पर बताती, माता–पिता की आस बहुत होती है बच्चों से. टूट जाए तो उन्हें तोड़ देती है.
सीधी–सादी दुर्गा को सिर्फ और सिर्फ पढऩे का शौक था. राजस्थान के रहने वाले एक आईएएस अफसर के मुताबिक शुरुआत में ट्रेनिंगको कोई गंभीरता से नहीं लेता. लेकिन दुर्गा पहले दिन से ही ट्रेनिंग के हर पहलू पर गंभीर थी. यही बात उसे औरों से अलग करती थी. ट्रेनिंग के दौरान ग्रामीण जीवन को करीब से देखने के लिए गांवों में या भारत दर्शन के लिए ले जाया जाता है. हममें से किसी को इसमेंज्यादा रुचि नहीं थी. सिवाय दुर्गा के.
ट्रेनिंग के बाद उसे पंजाब कैडर मिला. जून 2011 में मोहाली में असिस्टेंट कमिश्नर ट्रेनिंग. डेरा बस्सी, खरात, माजरी जैसी जगहों परबीडीओ और पंचायत अधिकारी रही. मोहाली में एक महीने तक एसडीएम भी रही. इस दौरान उसने सोहाना गांव में सरकारी जमीनों सेअवैध कब्जे हटाए और रजिस्ट्रार ऑफिस में स्टांप घोटाला उजागर किया.
दुर्गा तब सुर्ख़ियों में आईं जब अवैध खनन के खिलाफ मोर्चा खोलने के कारण निलम्बित कर दिया गया. उन पर आरोप यह लगाया गयाकि उन्होंने अवैध रूप से बनाई जा रही एक मस्जिद की दीवार को गिरा दिया था जिससे इलाके में साम्प्रदायिक तनाव फैल जाने कीआशंका थी. बाद में जनता के विरोध के मद्देनज़र उन्हें राजस्व विभाग से सम्बद्ध कर दिया गया. फिर PM MODI ने उन्हें नियमों कोशिथिल करते हुए दिल्ली बुला लिया और अभी वे Agriculture Minister की OSD हैं.
बता दें कि यूपी में दुर्गा शक्ति नागपाल को अखिलेश सरकार द्वारा सस्पेंड किए जाने का मामला बहुत गर्म हो गया था. यूपी सरकार दुर्गाशक्ति के खिलाफ चार्जशीट दायर कर चुकी थी. दूसरी ओर, इस ईमानदार अधिकारी के पक्ष में देश में हालात ऐसे बन गए कि मामले मेंप्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तक को दखल देना पड़ा.
बहरहाल निर्माता सुनीर खेतरपाल और रॉबी ग्रेवाल आईएएस दुर्गा शक्ति नागपाल पर फिल्म बना रहे हैं. ‘बदला‘ और ‘केसरी‘ जैसीफिल्मों का निर्माण करने के बाद अब वह आईएएस नागपाल की कहानी पर काम कर रहे हैं.
प्रोजेक्ट के बारे में बात करते हुए खेतरपाल ने कहा – यह एक साहसी महिला की प्रेरणादायक कहानी है। दुर्गा शक्ति ने आदर्शवाद औरधार्मिकता के मार्ग पर चलते हुए धैर्य और साहस दिखाया। इस कहानी के साथ हम दर्शकों को इस आदर्श नायक से अवगत करानाचाहते हैं। उनको कैसे नैतिकता के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।