New Delhi : PM Narendra Modi के करीबी दोस्त और भारत के लिये विशेष झुकाव रखनेवाले Benjamin Netanyahu फिर सेIsrael के PM पोस्ट की दावेदारी जीत जायेंगे। Israel में एक साल के अंदर तीसरी बार 2 मार्च को आम चुनाव हुए। चुनाव के बाद देशके ज्यादातर Exit Poll का दावा है कि प्रधानमंत्री Benjamin Netanyahu इस बार भी चुनाव जीत जाएंगे। हालांकि, पोल के मुताबिकनेतन्याहू और उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी पूर्व सेना प्रमुख बेनी गांट्ज के बीच जीत का अंतर काफी कम रहेगा।
चुनाव से ठीक पहले Benjamin Netanyahu ने इजराइल रेडियो को दिए इंटरव्यू में कहा कि अगर इस बार मैं चुनाव जीता तो वेस्ट बैंकऔर जॉर्डन वैली के हिस्सों को भी इजराइल में शामिल कराना लक्ष्य होगा। इसमें ज्यादा से ज्यादा दो से तीन महीने का समय लगसकता है।
Exit Poll के मुताबिक, नेतन्याहू इस चुनाव में करीब 37 सीटें जीत रहे हैं, जबकि गांट्ज को 32 से 34 सीटें मिल सकती हैं। नेतन्याहू कीसहयोगी पार्टियों की सीटें मिलाकर यह आंकड़ा 59- 60 के पास पहुंच जाता है। हालांकि सरकार बनाने के लिए एक से दो सीटों कीजरूरत पड़ सकती है। इजराइल में 120 सीटों वाली संसद है। गांट्ज ने इस एग्जिट पोल को खोखला बताया है। उन्होंने अपने समर्थकोंको संबोधित करते हुए कहा कि नेतन्याहू इस चुनाव में जीत नहीं सकते हैं। एग्जिट पोल को भी आधार मान लें, तब भी नेतन्याहू सरकारबनाते हुए नहीं दिख रहे।
पिछले साल अप्रैल और सितंबर में हुए चुनाव में किसी भी प्रत्याशी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिले थे। इसके चलते सरकार का गठन नहीं होपाया था। अब उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार स्पष्ट बहुमत से किसी की सरकार बन जाएगी।
फिलीस्तीन वेस्ट बैंक, पूर्वी येरुशलम और गाजा पट्टी को साथ मिलाकर एक देश बनाना चाहता है, लेकिन इजरायल वेस्ट बैंक, पूर्वीयेरुशलम पर अपना दावा करता है। इजराइल अब चार लाख यहूदियों की बस्ती का विस्तार कर उसे अपने अधिकार में लेना चाहता है।वेस्ट बैंक की बात करें, तो इजराइल की ओर से यहां पर लाखों यहूदियों को बसाया जा चुका है, लेकिन इस हिस्से में करीब 25 लाखफिलिस्तीनी रहते हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की पश्चिम एशिया शांति योजना में इजराइल और फिलिस्तीन के बीच चल रहा विवाद भी शामिल है।यह योजना जनवरी में सामने आई थी। इसके तहत इजराइल को जॉर्डन वैली और वेस्ट बैंक क्षेत्र को अपने कब्जे में लेने की मंजूरी मिलगई थी। एक ऐसी कमेटी भी तैयार करने का प्रस्ताव दिया गया था जो यह देखेगी कि कितनी सीमा अपने कब्जे में लेनी है। हालांकि ट्रम्पके इस योजना की काफी आलोचना भी हुई थी।