New Delhi : अपनों को खोने का दुख क्या होता है वो वही जानता है जिसने खोया होता है. और जब वो दूसरों के साथ ऐसा होतादेखता है तो अपने जान पर खेलकर भी उनको बचाने की कोशिश करता है. दिल्ली हिंसा के दौरान कुछ ऐसे नाम भी सामने आ रहे हैं, जिन्होंने अदम्य साहस का परिचय दिया और हिंसक भीड़ से कई लोगों की जान बचाई.
24 फरवरी को गोकुलपुरी इलाके में भड़की हिंसा के दौरान ऐसे ही बाप–बेटे की एक जोड़ी चुपचाप नेक काम में लगी हुई थी. इन दोनों नेबड़ी बहादुरी के साथ इलाके में फंसे करीब 70 मुसलमानों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया और उनकी जान बचाई. मोहिंदर सिंह ने अपनेबेटे की मदद से अपने दुपहिया वाहनों पर गोकुलपुरी बाजार से मुस्लिम परिवारों को कर्दमपुरी तक पहुंचाया.
एजेंसी से बात करते हुए मोहिंदर सिंह ने कहा, “मैंने और मेरे बेटे ने हिंसा के दौरान लगभग 60 से 70 मुस्लिमों को शिफ्ट किया. मैं अपनेस्कूटर पर था और मेरा बेटा अपनी बुलेट पर. हमने गोकुलपुरी से कर्दमपुरी इलाके तक 20 चक्कर लगाए. वे लोग डरे हुए थे. उनके डरको देखते हुए हमने उन्हें यहां से शिफ्ट करने का फैसला किया.”
हिंसा के उस दिन की कहानी बताते हुए मोहिंदर सिंह ने आगे कहा, “मैंने 1984 के सिख विरोधी दंगों को देखा है. इस हिंसा ने मुझे उसकीयाद दिला दी. हमने दाढ़ी वाले मुस्लिम पुरुषों को पगड़ी दी ताकि उन्हें पहचाना न जा सके. वहां महिलाएं और बच्चे भी थे. हमने सबसेपहले उन्हें ही बाहर निकाला.”
उन्होंने आगे कहा, “हमने केवल मानवता के लिए ऐसा किया क्योंकि हमने उन्हें किसी दूसरे धर्म के व्यक्ति के बजाय इंसान के रूप मेंदेखा.”
दिल्ली के उत्तर–पूर्वी इलाके में भड़की इस हिंसा में अब तक 41 लोगों की मौत हो चुकी है. तमाम घायलों का अभी भी अस्पतालों मेंइलाज चल रहा है. वहीं हिंसा में अब तक दिल्ली पुलिस कुल 167 FIR दर्ज कर चुकी है. वहीं आर्म्स एक्ट में कुल 36 मामले दर्ज किएगए हैं. पुलिस ने अब तक कुल 885 लोगों को पकड़ा है, जिनमें से कुछ गिरफ्तार और कुछ लोग हिरासत में हैं.