New Delhi : भारत शांति का पक्षधर है, लेकिन उकसावे पर भारत के सपूत ऐसा जवाब देते हैं कि रूह कांप जाये। अब यह कोई चीनियों से पूछे। गलवान में 15 जून को चीनी सैनिकों के धोखे की वजह से अपने कमांडिंग ऑफिसर कर्नल बी. संतोष बाबू को खोते ही बिहार रेजीमेंट के जवानों ने 18 चीनी सैनिकों की गर्दनें तोड़ दीं। द एशियन एज अखबार ने विभिन्न स्रोतों के हवाले से यह खबर दी है। एक सैन्य अधिकारी ने बताया – कम-से-कम 18 चीनी सैनिकों के गर्दनों की हड्डियां टूट चुकी थीं और सर झूल रहे थे। अपने कमांडर की वीरगति प्राप्त होने से गुस्साये भारतीय सैनिकों ने सामने आने वाले हर चीनी सैनिक का वो हाल किया कि उनकी पहचान कर पाना भी संभव नहीं रहा।
A step-by-step account of the Galwan clash
1. The Galwan Valley is located on the Chinese side of the Line of Actual Control in the west section of the China-India boundary. For many years, the Chinese border troops have been patrolling and on duty in this region.
— Lijian Zhao 赵立坚 (@zlj517) June 20, 2020
दरअसल, उस रात बिहार रेजीमेंट के जवानों ने बहादुरी की कहानी दुनिया के लिये एक मिसाल बन गई। उस रात चीनी सैनिकों की संख्या भारतीय सेना की तुलना में 4 गुना अधिक थी। इतना ही नहीं, चीनी सैनिक ने योजना बनाकर हमला किया था जबकि भारतीय सैनिकों ने ऐसी कोई तैयारी नहीं कर रखी थी क्योंकि उन्हें चीनियों के अचानक धोखे की अशंका नहीं थी। बावजूद इसके, हमारे बहादुर जवानों ने चीनी सेना को ऐसा सबक सिखाया कि उसकी सरकार कुछ बोल नहीं पा रही है।
द एशियन एज अखबार ने सैन्य सूत्रों के हवाले से बिहार रेजीमेंट की जवानों की शौर्यगाथा के बारे में बताया है। इस लड़ाई में बिहार रेजीमेंट के जवानों ने अपने भीतर की क्षमताओं का प्रयोग किया। भारत के जवानों को ऑर्डर मिले थे कि वह गलवान में बनाये गये चीनी सैनिकों द्वारा टेंट को हटाने की पुष्टि करें। इसी को देखते हुए कर्नल बी संतोष बाबू जवानों के साथ घटना स्थल पर पहुंचे। उन्होंने देखा कि चीनी सेना ने वहां से टेंट को नहीं हटाया तो उन्होंने इसका विरोध किया। इसी बीच बड़ी तादाद में वहां पर मौजूद चीनी सैनिक ने उनपर हल्ला बोल दिया। जिसके बाद भारतीय सैनिकों ने भी मोर्चा संभालते हुए उनको जवाब देना शुरू किया।
कमांडिंग ऑफिसर कर्नल बी. संतोष बाबू वीरगति को प्राप्त हुये। बिहार रेजीमेंट के सैनिकों के धैर्य का बांध टूट गया। चीनी सैनिकों की तादाद बहुत ज्यादा थी, जिसके बाद भारतीय फौज ने पास की टुकड़ी को इस बारे में जानकारी दी और मदद मांगी। सूचना मिलने के तुरंत बाद ही भारतीय सेना का ‘घातक’ दस्ता मदद के लिये वहां पहुंचा। बिहार रेजीमेंट और घातक दस्ते के सैनिकों की कुल तादाद सिर्फ 60 थी, जबकि दूसरी तरफ दुश्मनों की तादाद काफी ज्यादा थी।
India rejects China's claim of sovereignty over #GalwanValley, says 'never undertook action along LAC'https://t.co/feetWGBwp1
— Jagran English (@JagranEnglish) June 20, 2020
ये लड़ाई लगभग चार घंटे तक चलती रही। चीनियों के पास नुकीले रॉड थे, जिनको छीनकर भारतीय सैनिकों ने उन पर हमला करना शुरू कर दिया। बिहार रेजीमेंट के जवानों का यह रौद्र रूप देखकर सैकड़ों की तादाद में मौजूद चीनी भागने लगे और घाटियों में जा छिपे, जिसके बाद भारतीय जवानों ने उनका पीछा करते हुये उन्हें पकड़-पकड़ कर तोड़ा। इस दौरान भारतीय सैनिक चीन के अधिकार क्षेत्र में पहुंच गये थे। जिन्हें बाद में चीन ने वापस भेजा।