2 दिन का सफर 8 दिन में- जाना था सीवान पहुंच गये बेंगलुरु और राउरकेला, मंत्री बोले- सब झूठ है

New Delhi : रेलवे के रास्ते खो गये हैं। ड्राइवरों को कुछ सूझ नहीं रहा या मामला कुछ टेक्नीकल है, ये भी बताने को रेलवे तैयार नहीं। रेलवे के अफसर सिर्फ अपनी गलतियों पर पर्दा डालने में लगे हैं। रेलवे लगातार ऐसी खबरों का या तो खंडन कर रहा है या फिर यह कहते हुये पर्दा डालने की कोशिश कर रहा है कि हेवी ट्रैफिक की वजह से बदले हुये रूट से गंतव्य तक पहुंच रही हैं। लेकिन इस बात का शायद ही जवाब मिले कि आखिर गुजरात के सूरत से बिहार के सिवान के लिये निकली ट्रेन 8 दिनों के बाद क्यों सिवान पहुंची। जबकि रास्ता महज 2 दिनों का है।

दैनिक भास्कर अखबार की इस खबर को रेल मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक ट्वीट में इसे आधा सच करार दिया, लेकिन सीवान के उप विकास आयुक्त सुनील कुमार ने भास्कर से बातचीत में इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि सूरत से चली ट्रेनें भटक गई थीं और देरी से सीवान पहुंची थीं। गुजरात के सूरत से 17 मई को चली जिस ट्रेन को 2 दिन में बिहार के सीवान पहुंचना था, लेकिन वह 8 दिनों बाद 25 मई को सीवान पहुंची। ट्रेन को गोरखपुर के रास्ते सीवान आना था, लेकिन छपरा होकर आई। लेकिन यही इकलौता केस नहीं। सूरत से ही सीवान के लिए निकली दो ट्रेनें ओडिशा के राउरकेला और बेंगलुरु पहुंच गईं। ट्रेनों के भटकने का सिलसिला यहीं खत्म नहीं होता, बल्कि जयपुर-पटना-भागलपुर 04875 श्रमिक स्पेशल ट्रेन रविवार की रात पटना की बजाय गया जंक्शन पहुंच गई।

इधर रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा- सब झूठ है। इस तरह की रिपोर्ट कि ट्रेन 7 दिनों में और 9 दिनों में पहुंच रही है पूरी तरह से निराधार है। बेसलेस है। इस तरह की खबरें पूरी तरह से रेलवे के कर्मचारियों, अधिकारियों के मेहनत पर पानी फेरने जैसा है। रेलवे के कर्मचारी एक महीने से बिना सोये अथक प्रयास कर रहे हैं ताकि प्रवासियों को उनके घर तक पहुंचाया जा सके। सोमवार 25 मई तक 3265 ट्रेनों का संचालन किया गया है। जिनमें से 23 मई तक खुली सारी ट्रेनें अपने अपने गंतव्य स्थानों तक पहुंच गईं हैं।
रेल मंत्री महाराष्ट्र सरकार से भी दो-दो हाथ करने में जुटे हैं।  रेलवे ने मंगलवार को आरोप लगाया कि राज्य सरकार यात्रियों के बारे में जानकारी नहीं उपलब्ध करा रही जिसकी वजह से कई श्रमिक विशेष ट्रेनों का संचालन नहीं हो पा रहा। केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट किया कि रेलवे ने मंगलवार को 145 ट्रेनों के संचालन की योजना बनाई थी लेकिन दोपहर 3 बजे तक सिर्फ 13 ट्रेनें चल सकीं, क्योंकि उतनी संख्या में यात्री ही स्टेशन नहीं पहुंचे।

उन्होंने ट्वीट किया- महाराष्ट्र सरकार के अनुरोध पर हमनें आज 145 श्रमिक विशेष ट्रेनों की व्यवस्था की। यह ट्रेन सुबह से तैयार खड़ी हैं। दोपहर तीन बजे तक 50 ट्रेनों को रवाना हो जाना था लेकिन यात्रियों की कमी की वजह से सिर्फ 13 रवाना हुईं। उन्होंने ट्वीट में कहा, मैं महाराष्ट्र सरकार से अनुरोध करता हूं कि यह सुनिश्चित करने में पूर्ण सहयोग दें कि परेशान प्रवासी श्रमिक अपने घर पहुंचे और श्रमिकों को समय पर स्टेशन पहुंचाया जाए, और विलंब न करें। इससे समूचा नेटवर्क और योजना प्रभावित होगी।

26 मई को महाराष्ट्र से 145 श्रमिक ट्रेनों के संचालन की योजना तैयार की थी। बयान में कहा गया, दोपहर 12 बजे तक महाराष्ट्र से 25 ट्रेनों को रवाना करने की योजना थी लेकिन कोई भी ट्रेन रवाना नहीं हुई क्योंकि यात्री नहीं आ सके थे। पहली ट्रेन में यात्रियों को बैठाने का काम 12.30 बजे शुरू हो सका। रेलवे के मुताबिक 68 ट्रेनों को उत्तर प्रदेश, 27 को बिहार, 41 को पश्चिम बंगाल तथा छत्तीसगढ़, राजस्थान, झारखंड, उत्तराखंड और केरल के लिए एक-एक ट्रेन तथा ओडिशा व तमिलनाडु के लिये दो-दो ट्रेन चलाने की योजना है। श्रमिक विशेष ट्रेनों को लेकर बीते दो दिनों से गोयल और महाराष्ट्र सरकार के बीच सियासी बयानबाजी जारी है और राज्य का आरोप है कि उसे पर्याप्त ट्रेन मुहैया नहीं कराई जा रही हैं।

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