जम्मू में फंसे बिहार-यूपी के 166 श्रद्धालु 45 दिनों के बाद अपने घरों के लिये रवाना

New Delhi : पैंतालीस दिनों से जम्मू और कश्मीर में फंसे श्रद्धालुओं 166 श्रद्धालुओं को शुक्रवार 8 मई को चार अलग अलग बसों से विदा किया गया है। इसमें से दो बसें पटना के लिये खुली हैं जबकि दो बस उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड के लिये। जम्मी कश्मीर में रजिस्ट्रेशन के हिसाब से 406 लोग फंसे हुये हैं। जिनमें श्रद्धालुओं के अलावा प्रवासी मजदूर भी हैं। बाकी लोगों को भी जल्द से जल्द विदा करने की तैयारी हो रही है बस टाइम नहीं बताया गया है। ये सभी श्रद्धालु वैष्णो देवी गये थे और लॉकडाउन की वजह से उधर ही फंस गये।

नार्थ जम्मू के एसडीएम पवन कोतवाल ने इसकी जानकारी देते हुये कहा कि रास्ते में श्रद्धालुओं को खाने पीने की समस्या नहीं होगी। सभी को रास्ते के लिये खाने का पैकेट भी दिया गया है। हर बस में करीब 40 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था की गइ इधर प्रवासी मजदूरों की लंबी लाइन खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही। लाखों लोग शहर और औद्योगिक क्षेत्रों को छोड़कर कर गांव जा रहे हैं। बिजनेसमैन परेशान हैं कि अगर जब सबकुछ सामान्य होने को होगा तब भी उनका बिजनेस बिना कामगारों के कैसे चलेगा। सो अब कई राज्य नहीं चाहते कि उनके यहां काम करने वाले उत्तर प्रदेश और बिहार के मजदूर अपने घर वापस जायें। पंजाब, कर्नाटक, हरियाणा और गुजरात के मुख्यमंत्रियों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बात कर अपील की है कि वह प्रवासी मजदूरों को वापस ना बुलायें।
पंजाब, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा जैसे राज्यों के आर्थिक विकास में इन प्रवासी मजदूरों का बहुत बड़ा योगदान है।
सीएम योगी आदित्यनाथ और सीएम नीतीश कुमार के पास चार मुख्यमंत्रियों के फोन आए जिसमें उनको आश्वासन दिया गया कि वह अपने राज्य से आने वाले प्रवासी मजदूरों को वापस ना बुलायें, प्रदेश सरकार मजदूरों का पूरा ध्यान रखेगी और उनको कई तरह की सहायता देना का भी वादा किया है।
बहरहाल प्रवासी मजदूरों की समस्या को दूर करने के लिये विदेशी ऑर्डर को पूरा करने के लिए नोएडा-ग्रेटर नोएडा के 611 कपड़ा निर्यात यूनिट खोलने का फैसला किया गया है। निर्यात प्रोत्साहन प्रमुख सचिव नवनीत सहगल ने आदेश जारी किया है। करीब 2000 करोड़ रुपये का कपड़े से निर्मित उत्पाद का विदेशी ऑर्डर पूरा किया जायेगा।
इधर लेबर के वापस अपने राज्यों को लौटने के बाद पंजाब की लोहा नगरी मंडी गोबिंदगढ़ साहिब में इंडस्ट्री पर संकट मंडराने लगा है। करीब 40 हजार मजदूर पहले ही चले गये हैं और 22 हजार ने और रजिस्ट्रेशन करवाया है। उनका मेडिकल किया जायेगा। वहीं, मजदूरों के लौटने के कारण 85 फीसदी इकाइयां अभी तक चालू नहीं हो सकीं। ऐसे में उद्योगपतियों ने सरकार की तरफ से चलाई गई विशेष ट्रेनों के खिलाफ नाराजगी जताई है। कहा-सरकार ने गेहूं का सीजन पूरा तो करवा लिया। जब उद्योगों की बारी आई तो ट्रेनें चलवाकर लेबर को भेजना शुरू कर दिया। पंजाब के मंडी गोबिंदगढ़ के उद्योगपति इंडस्ट्री चलाने को तैयार हैं। लेकिन कामगार ही नहीं हैं।
इसके अलावा भोपाल की महारत्‍‌न कंपनियों की मुश्किल में हैं। क्योंकि 33 प्रतिशत कर्मचारियों की उपस्थिति के लिए भी 2000 श्रमिक चाहिए, लेकिन सिर्फ 600 श्रमिक ही मिल रहे हैं। ऐसे में काम प्रभावित हो रहा है।

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