New Delhi : हिंदू मान्यता के तहत कल 14 मार्च से खरमास प्रारंभ हो जायेगा जो 13 अप्रैल तक रहेगा। इस अवधि में विवाह व अन्यमांगलिक कार्य नहीं होंगे। पूजा–पाठ व भजन–कीर्तन और सत्संग किये जा सकेंगे। इस अवधि में दान–पुण्य करना अति विशिष्टफलदायी होता है। खरमास को मलमास भी कहते हैं। इसमें भगवान विष्णु और सूर्य आराधना का विशेष महत्व है।
सूर्य जब–जब बृहस्पति की राशियों में प्रवेश करता है तब–तब किसी भी तरह के मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। यानी दिसंबर औरजनवरी में जब सूर्य धनु राशि में होता है तब और मार्च एवं अप्रैल में मीन राशि में सूर्य के आ जाने पर भी मांगलिक कार्य नहीं किए जातेहैं।
सूर्य के मीन राशि में होने पर मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। गृह प्रवेश और सोलह संस्कार सहित विवाह मुहूर्त 14 अप्रैल से प्रारंभहोंगे, जो जून माह तक रहेंगे। इसके बाद नवंबर व दिसंबर में विवाह मुहूर्त रहेंगे। अप्रैल में 6 दिन, मई में 16 दिन, जून में 8 दिन रहेंगे।इसके बाद नवंबर में 3 दिन व दिसंबर में 7 दिन विवाह मुहूर्त होंगे।
खरमास में विवाह, नवीन प्रतिष्ठान का शुभारंभ, भवन निर्माण के लिए भूमिपूजन, शिलान्यास आदि काम नहीं किए जाते हैं। इन दिनों मेंसुबह जल्दी उठकर सूर्य को जल चढ़ाने से आरोग्यता मिलती है। पुराणों के अनुसार खरमास के दौरान भगवान विष्णु की पूजा की जानीचाहिए। इसके साथा ही भगवान सूर्य को सुबह जल चढ़ाया जाता है।