प्रिंटर-स्कैनर की दुकान में 3 साल से छाप रहे थे 100, 200, 500 के नोट, लॉकडाउन में 80 हजार खपाये

New Delhi : मेरठ पुलिस ने गाजियाबाद में कलर प्रिंटर से नकली नोट छापने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुये तीन युवकों को रविवार 28 जून को गिरफ्तार किया है। उनसे 2.62 लाख रुपये कीमत की नकली करेंसी बरामद हुई है। पिछले तीन साल से यह धंधा चल रहा था। लॉकडाउन में इस गिरोह ने 80 हजार रुपये मार्केट में खपा दिये।
खरखौदा थाने के इंस्पेक्टर मनीष बिष्ट ने बताया – हापुड़-बुलंदशहर हाईवे स्थित ग्राम कैली फ्लाईओवर के समीप तीनों आरोपियों को चेकिंग के दौरान पकड़ा गया। इनकी पहचान गाजियाबाद के प्रशांत उर्फ विराट, अशोक उर्फ बिट्टू और रियाज उर्फ राजू के रूप में हुई।
गैंग सरगना प्रशांत मूल रूप से केरल के जिला त्रिशूर का रहने वाला है। चार साल पहले एक लड़की के चक्कर में वहां से भागकर गाजियाबाद आ गया। वहीं राजू मूल रूप से मुरादाबाद में कांठ थाना क्षेत्र के मधुपुरी उर्फ इनायतपुरी का रहने वाला है।
इंस्पेक्टर ने बताया – प्रशांत उर्फ विराट की गाजियाबाद में कलर प्रिंटर-स्कैनर की दुकान है। जनवरी-2018 में प्रिंटर से नकली नोट छापने के मामले में वह सिहानी गेट थाने से जेल गया था। डासना जेल में उसकी मुलाकात अशोक और रियाज से हुई। दोनों हार्डकोर क्रिमिनल हैं। उनके खिलाफ पहले से कई गंभीर मुकदमे दर्ज हैं। तीनों कुछ दिन बाद जेल से बाहर आ गये थे। गिरोह ने नकली नोट छापने का धंधा फिर शुरू कर दिया। प्रशांत 100, 200 व 500 रुपये के नकली नोट छापता था। अशोक और रियाज उन्हें दुकानों-रेहड़ी वाले दुकानदारों को देकर सामान खरीद लेते थे। इस प्रकार लॉकडाउन में उन्होंने 80 हजार के नकली नोट खपा दिये।
स्कैनिंग मशीन से नोट स्कैन करते थे। कम्प्यूटर में उसे फिनिशिंग देकर लेजर प्रिंटर से कलर फोटो स्टेट कॉपी निकालते थे। डाई मशीन के जरिये चमकीले रंग की टेप को बारीक टुकड़ों में काटकर उसे नोट पर चिपकाते थे, ताकि नोट असली लगे। इन नोटों से छोटी-छोटी खरीदारी करते थे, जिससे पकड़ में न आएं। यही वजह रही कि लॉकडाउन में छोटी-छोटी खरीदारी करके उन्होंने 80 हजार के नकली नोट मार्केट में चला दिये।
पूछताछ में पता चला कि इस गिरोह ने नोएडा, दिल्ली, गाजियाबाद, बुलंदशहर, हापुड़ की मार्केट में पहले भी नकली नोट खपाये हैं। खरखौदा पुलिस ने रविवार को एक आरोपी को नकली नोटों सहित पकड़ा। वह यहां नकली नोट चलाने आया था। उससे पूछताछ हुई तो साथियों के नाम बताये। इसके बाद गाजियाबाद स्थित ठिकाने पर छापामार कार्रवाई हुई।

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