रूसी कंपनी ने कहा- हम दुनिया से कोरोना वैक्सीन की अपनी टेक्नोलॉजी साझा करने को तैयार

New Delhi : अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा के आरोपों के बाद रूस की कोरोना वायरस वैक्सीन को विकसित करनेवाले आर्गेनाइजेशन ने अपनी टेक्नोलॉजी को साझा करने की पेशकश की है। गेमालेया इंस्टीच्यूट रूस में कोरोना वैक्सीन की रिसर्च को अंजाम दे रहा है। इस संस्था ने दुनिया में सबसे असरदार कोरोना वैक्सीन बनाने का दावा किया है।
गेमालेया इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एण्ड माइक्रोबायोलॉजी के प्रमुख एलेक्जेंडर जिंसबर्ग ने कहा- रूसी टेक्नोलॉजी दुर्लभ है। इसका पेटेंट कराया गया है। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि यह पश्चिमी देशों की तुलना में ज्यादा प्रभावी है। दुनिया हमारी इम्यूनाइजेशन स्कीम की कद्र करेगी। हमसे उधार लेगी।

रूस के इस कदम को और तकनीक साझा करने के बयान को ब्रिटेन के आरोपों के संदर्भ में देखा जा रहा है। गुरुवार को यूके नेशनल साइबर सिक्योरिटी सेंटर ने आरोप लगाया था कि रूस के साइबर हैकर्स ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा की लैब से कोरोना वैक्सीन की तकनीक चुराने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि रूस ने इस पर त्वरित प्रतिक्रिया देते हुये इसे बकवास बताया था।
गेमालेया वैक्सीन का रूस के दो संस्थानों में पहले से ही क्लीनिकल ट्रायल कंप्लीट हो गया है। WHO ने गामालिया के अलावा दुनिया की 22 अन्य संस्थाओं को अपनी निगरानी सूची में रखा है। क्लीनिकल ट्रायल के सभी तीन चरण पूरा करने के बाद बड़े पैमाने पर वैक्सीन उत्पादन की अनुमति इन कंपनियों को दी जायेगी।

इस बीच कोरोना वैक्सीन को लेकर एक बड़ी बिजनेस डील की खबर भी सामने आई है। रूसी दवा कंपनी R-farm ने ब्रिटिश कोरोना वैक्‍सीन बनाने का सौदा किया है। ऑक्‍सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्‍सीन रूस में R-farm बनायेगी। कंपनी ने आस्‍ट्राजेनेका से इसका करार किया है।
एजेंसी खबरों के मुताबिक लंदन के इंपीरियल कॉलेज की वैक्‍सीन भी इंसानों पर ट्रायल के दूसरे दौर में पहुंच गई है। पहले चरण में वैक्सीन ने अच्छा प्रभाव दिखाया है। अभी तक कोई साइड इफेक्‍ट देखने को नहीं मिला है। दूसरे फेज में 105 लोगों को वैक्सीन की खुराक दी जायेगी।

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