कश्मीर में आतंक का अंत : NSA अजीत डोभाल के ऑपरेशन जैकबूट का निशाना बना रियाज नायकू

New Delhi : हिजबुल मुजाहिदीन का कमांडर रियाज नायकू बुधवार को मारा गया। इसके साथ ही घाटी में आतंक के एक और बड़े चेहरे को सुरक्षा बलों ने उसके अंजाम तक पहुंचा दिया। नायकू मंगलवार को अपने परिवार से मिलने आया था और अवंतिपुरा के बेइघबोरा गांव में छिपा हुआ था। यह उसका गृह क्षेत्र था। 35 वर्षीय नायकू का दूसरा नाम जुबैर उल इस्लाम और बिन कासिम भी था। उस पर 12 लाख रुपये का इनाम था। 5 जून को रियाज नायकू हिज्बुल मुजाहिदीन में 8 वर्ष पूरे कर लेता। जहां पर अधिकांश साल दो साल भी पूरे नहीं कर पाते हैं। न्यूज एजेंसी ने खबर दी है कि रियाज राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) के ऑपरेशन जैकबूट की वजह से ढेर हुआ। यह ऑपरेशन साउथ कश्मीर के चार जिलों में स्थानीय आतंकियों के सफाए के लिए चलाया गया।

रियाज के ढेर होने के बाद उसके गांव का माहौल।

नायकू ऑपरेशन जैकबूट का आखिरी और सबसे अहम टारगेट था। पुलवामा, कुलगाम, अनंतनाग और शोपियां दक्षिण कश्मीर के वो जिले हैं, जहां सबसे ज्यादा स्थानीय आतंकी सक्रिय होते रहे हैं। बुरहान वानी भी यहीं के त्राल कस्बे का रहने वाला था।
साउथ कश्मीर के चार जिलों के बारे में कहा जाता है कि यहां आतंकियों की मजबूत पकड़ है। बुराहान वानी के ग्रुप में जो आतंकी थे, वो सभी इन्हीं चार जिलों के रहने वाले थे। वानी के साथ सब्जार भट, वसीम माला, नसीर पंडित, अश्फाक हमीद, तारिक पंडित, आफाकउल्लाह, आदिल खांडे, सद्दाम, वसीम शाह और अनीस थे। एक तरह से विदेशी आतंकियों के बजाए स्थानीय आतंकी ही यहां के युवाओं को प्रभावित कर रहे थे।  कश्मीर के युवा बेरोजगार इन स्थानीय आतंकियों के संपर्क में आए और उनसे प्रभावित हुए। यह काम बुरहान वानी के वक्त चरम पर था। लोकल पुलिसकर्मियों को टॉर्चर किया गया और कई मौकों पर उनकी हत्या कर दी गई।

आतंकियों के जनाजे में गन सैल्यूट देने वाला रियाज नायकू एनकाउंटर में मारा गया।

यहां के लोग जानते हैं कि स्थानीय आतंकी गांवों में बिना किसी डर के मौज-मस्ती और पार्टियां करते रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह ये थी कि बुरहान गैंग के सभी 11 दहशतगर्द स्थानीय थे और उनका नेटवर्क मजबूत था। रियाज कई बार सुरक्षा बलों के हत्थे चढ़ते चढ़ते रह गया और भागने में कामयाब रहा। लेकिन, मंगलवार को कश्मीर पुलिस की एसओजी को नायकू के मूवमेंट की जानकारी मिली थी। सूचना ये थी कि वह अपने गांव में परिवार और संबंधियों से मिलने के लिए गया है। इसके बाद एसओजी को यह पता था कि वहां पर उसका ठिकाना होगा। जैसा ही अंधेरा हुआ जम्मू कश्मीर पुलिस और 21 राष्ट्रीय रायफल्स के जवानों ने गांव को घेर लिया। एक सीनियर पुलिस ऑफिसर ने कहा – उसके बाद वे सभी जवान नीचे लेटकर कमांडर नायकू के मूवमेंट का इंतजार करने लगे। नायकू एक ऐसे घर में फंसा था जहां से निकलकर बचने का कोई रास्ता नहीं था।

आर्मी की घेराबंदी

सुबह होते ही गांव के अंदर से फायरिंग होने लगी। सुरक्षाबलों ने रियाज नायकू को एक बंकर में देखा, जहां से वह उन सभी के ऊपर फायरिंग कर रहा था। थोड़ी देर बाद ही वह ढेर कर दिया गया। एक सीनियर जम्मू कश्मीर पुलिस ने कहा – यह कश्मीर में सुरक्षाबलों की बड़ी सफलता है। जम्मू कश्मीर के पुलिस प्रमुख दिलबाग सिंह खुद पूरे ऑपरेशन की निगरानी कर रहे थे।

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