सुप्रीम कोर्ट का स्वत: संज्ञान- मजदूरों की बदहाली में केंद्र-राज्य दोनों लापरवाह, खाना-पीना, आश्रय दो

New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार 26 मई को देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा को स्वत: संज्ञान में लिया। कोर्ट ने कहा है – केंद्र और राज्य सरकार की ओर से खामियां हैं। प्रवासी मजदूरों को यात्रा, आश्रय और भोजन प्रदान करने के लिए तत्काल उपाय किये जाने की आवश्यकता है। इससे पहले इसी महीने जब प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई थी तो सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुये उस याचिका को खारिज कर दिया था कि कोर्ट इसमें क्या कर सकता है। प्रवासियों को देखना और लॉकडाउन का सख्ती से पालन कराना केंद्र सरकार का काम है।

इधर देश में रेल की सुविधा के बावजूद देशभर में प्रवासी मजदूरों का हाल बुरा है। जगह-जगह स्टेशनों पर मजदूरों के बीच खाना पानी के लिये मारपीट हो रही है। छीनाझपटी हो रही है। किसी के पास खाना खरीदने का पैसा नहीं है और लोग दाना पानी के लिये तरस रहे हैं।
बहरहार प्रवासी मजदूरों की वजह से बिहार और उत्तर प्रदेश में कोरोना मरीजों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। बिहार में कोरोना के 2737 मरीजों में से 1754 मरीज ऐसे हैं जो 3 मई के बाद दूसरे प्रदेशों से लौट कर आये हैं। बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों में कोरोना पॉजिटिव के मामले सामने आ रहे हैं। मंगलवार के लिए 108 ट्रेनें शिड्यूल्ड हैं जिससे 1 लाख 76 हजार 900 लोग पहुंचेंगे। सोमवार को 1 लाख 96 हजार 350 प्रवासी मजदूरों को लेकर 119 ट्रेनें आईं। 2 मई से 25 मई तक कुल 1029 श्रमिक स्पेशल ट्रेन आ चुकी हैं। इन ट्रेनों के जरिए 15.36 लाख प्रवासी श्रमिकों, छात्रों और अन्य लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया है। एक अनुमान के मुताबिक 25 लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूर बिहार में और 40 लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूर उत्तर प्रदेश में लौटकर देश की अलग अलग जगहों से आये हैं। ट्रेन और बसों की उपलब्धता की बात भले हो रही हो लेकिन अभी भी पैसे के अभाव में लोग पैदल और साइकिल से सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय कर अपने घरों तक पहुंच रहे हैं।

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