जूते पॉलिश करनेवाला लड़का जिसकी विधवा मां ने बेचे गुब्बारे- लगन से बन ही गया सेलेब्रिटी सिंगर

New Delhi : पिछले साल यानी 2019 में म्यूजिक शो इंडियन आइडल में एक साधारण सा लड़का पुराने कपड़े और हवाई चप्पल पहनकर ऑडिशन देने आया था। लड़के ने अपनी प्रतिभा के दम पर शो के खत्म होते होते अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार कर लिया। उसकी मखमली आवाज को न सिर्फ इंडियन आईडल ने बल्कि पूरे देश ने पहचाना। मां की दुआएं और अपनी मेहनत के दम पर जिस लड़के ने बिना किसी ट्रेनिंग के संगीत सीखा वो संगीत के इस शो में इतना आगे गया कि 2019 के इंडियन आइडल का विनर बन गया। इनका नाम है सन्नी हिंदुस्तानी। ये नाम आपने भी सुना होगा। लेकिन इनकी संघर्ष भरी जिंदगी के बारे में कुछ ही लोग जानते हैं।

सन्नी पंजाब के बठिंडा के रहने वाले हैं। साल भर पहले तक वो पंजाब में ही घूम-घूम कर लोगों के जूते पॉलिश करने का काम किया करते थे। किशोर होते ही सनी के पिता का निधन हो गया। घर का खर्च चलाने के लिए मां ने गुब्बारे बेचना शुरू कर दिया, बेटा जूते पॉलिश करता और मां गलियों में घूम-घूम कर गुब्बारे बेचा करती थी लेकिन इसके बाद भी कई बार घर में चूल्हा तक नहीं जलता था। सन्नी जब ऑडिशन देने पहुंचे थे तो उन्होंने बताया था कि कई बार जब घर में खाने तक को कुछ नहीं होता तो उनकी मां आस-पड़ोस से चावल मांग कर खाना बनाती थी। सन्नी को मां का यूं घर-घर मांगना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था। लेकिन उनके सुख भरे दिन अब ज्यादा दूर नहीं थे। सन्नी ने अपनी आवाज के दम पर हर वो खुशी अपनी मां को दी जिसे उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था।
सन्नी को शुरू से ही गाने का शौक था। उनके पिता भी गायक थे जो मेलों में गाना गाया करते थे। घर में वही अकेले कमाने वाले थे। उनके निधन के बाद सब कुछ अस्त व्यस्त हो गया। इस समय सन्नी 14 साल के थे। 2 लाख रुपये का कर्ज लेकर उनके पिता ने अपना मकान बनाया था। उनके जाने के बाद घर की जिम्मेदारियां और कर्जे का बोझ उनकी मां और सन्नी पर आ गया। सन्नी ने 6ठी क्लास में ही अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी। लेकिन जब पिता का निधन हुआ तो उन्हें घर के प्रति जिम्मेदारियों का अहसास होने लगा। जब सन्नी ने अपनी मां को गुब्बारे बेचते और एक टाइम के खाने के लिए घर-घर मांगते हुए देखा तो उन्होंने जूते पॉलिश करने का सामान खरीदा और जूते पॉलिश करने लगे। इसके अलावा और कोई काम उन्हें आता भी नहीं था। अपने काम के साथ साथ सन्नी गुनगुनाता भी रहता। सन्नी का कहना है कि वो उनके लिए संगीत एक नशे की तरह है। ऐसा कोई एक घंटा भी नहीं बीत सकता जिसमें वो गाएं या गुनगुनाएं नहीं।
काम के वक्त जब वो गाते तो उनके गाने की काफी लोग तारीफ करते इससे उन्हें और भी प्रेरणा मिलती। इसलिए सन्नी संगीत में और रियाज़ करते। सन्नी के पास कला तो थी लेकिन उसे निखारने वाला जोहरी नहीं था। उन्होंने जितना भी संगीत सीखा वो खुद से ही सीखा। वो बताते हैं कि मैं जूते पॉलिश करते वक्त भी गाया करता था। सीखने के लिए मैंने यू-ट्यूब का सहारा लिया। मैं यूट्यूब पर नुसरत फतेह अली खान के गीतों को सुनता था। संगीत सीखने का मौका उन्हें इंडियन आईडल में आकर ही मिला। ऑडिशन के समय ही उन्होंने सभी जजेस का दिल जीत लिया था। इसके बाद तो बस हुनर को पहचान मिल गई जो कि रुकी ही नहीं बल्की हर पड़ाव में और निखरती गई। सन्नी ने हर पड़ाव अव्वल दर्जे के साथ पास किया और आखिरकार वो ग्रेंड फिनाले तक पहुंचे और उसे जीता भी।

यहां उन्हें इंडियन आइडल’ के 11वें सीजन की विनिंग ट्रॉफी के साथ ही उन्हें 25 लाख रुपये का चेक दिया। इससे भी ज्यादा इंडियन आइडल ने एक बूट पॉलिश करने वाले लड़के का हुनर पहचान कर उसे न सिर्फ रोजगार दिया बल्कि एक नई पहचान भी दी। विनर बनने के बाद वो कंगना रनौत की फिल्म ‘पंगा’ के लिए ‘जुगनू’ गाना गा चुके हैं, हालांकि शंकर महादेवन इसमें मुख्य गायक रहे। इसके साथ ही वो अब सेलिब्रिटी सिंगर्स में शुमार हो गए हैं।

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