छठवीं क्लास में फेल हो गई थीं रुक्मणी, फिर अपनी​ जिद और जज्बे से बनीं IAS टॉपर

New Delhi : हौसले अगर बुलंद हो तो एक बार असफलता मिलने के बाद भी सफलता पाई जा सकती है। ये इंसान पर निर्भर करता हैकि हार मिलने पर थक कर बैठ जाना है या फिर दोबारा कड़ी मेहनत करनी है। हार को जीत में बदलना है या जिंदगीभर रोना है।

आज हम आपको एक ऐसी लड़की की कहानी के बारे में बताएंगे जो छठी क्लास में फेल हो गई थी। मगर उन्होंने हार नहीं मानी औरकड़ी मेहनत के बल पर पहले अटेम्प्ट ही यूपीएससी का टेस्ट पास कर लिया और IAS बनी। 2011 में चंडीगढ़ की रूक्मिणी रायर नेयूपीएससी की परीक्षा में पूरे देशभर में दूसरा स्थान हासिल किया था। उन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज से मास्टर्स डिग्री लेनेके बाद यूपीएससी की परीक्षा देने के बारे में सोचा। रूक्मिणी ने बिना कोचिंग के पहली बार में ही यह टेस्ट क्लीयर कर लिया। वह दिनमें 6 से 7 घंटे पढ़ती थी।

एक इंटरव्यू के दौरान रुक्मिणी ने बताया कि वह छठी क्लास में फेल हो गई थी। इसके बाद उनके पेरेंट्स ने उन्हें आगे कि पढ़ाई करने केलिए डलहौजी के सेक्रेड हार्ट स्कूल में भेजा दिया। मांबाप से दूर बोर्डिंग स्कूल के दबाव को झेलना उनके लिए मुश्किल हो गया था।पढ़ाई में मन नहीं लग रहा था।

क्लास में फेल होने के बाद किसी के सामने जाने की हिम्मत नहीं होती थी। यह सोच कर शर्म आने लगी थी कि दूसरे लोग मेरे बारे मेंक्या सोचेंगे। इसी डर के मारे मैं धीरेधीरे डिप्रेशन का शिकार होने लगी। मगर बाद में मन में ख्याल आया की इस परेशानी से खुद हीबाहर निकलना होगा।

जिंदगी की दोबारा अच्छी शुरुआत करने के लिए उन्होंने फिर से मेहनत करने का फैसला किया। रूक्मिणी का कहना है, ‘मैं सबको यहदिखाना चाहती थी कि अगर मुझे अवसर दिया गया तो निश्चित रूप से कुछ ना कुछ कर के दिखाऊंगी जब मुझे सफलता मिली तोलोगों के व्यवहार में बहुत परिवर्तन देखने को मिला।

उन्होंने यूपीएससी की तैयारी कर रहें युवाओं को संदेश भी दिया है।असफलता खराब नहीं है लेकिन यह हम सब पर निर्भर करता है किउससे सबक लेकर आगे बढ़ना है या परेशान होना। यदि आप कड़ी मेहनत के इच्छुक हैं तो हर मुसीबत को दूर कर सकते हैं

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