New Delhi : विकास दुबे इनकउंटर मामले में कांग्रेस नेता और और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर यूपी पुलिस और योगी सरकार की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाया है। दिग्विजय सिंह ने अपने ट्वीट में उस वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने पर सवाल उठाये हैं, जिसमें विकास दुबे को उज्जैन से कानपुर लाया गया था।
दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया- जिसका शक था वह हो गया। विकास दुबे का किन किन राजनैतिक लोगों से, पुलिस व अन्य शासकीय अधिकारियों से उसका संपर्क था, अब उजागर नहीं हो पाएगा। पिछले 3-4 दिनों में विकास दुबे के 2 अन्य साथियों का भी एनकाउंटर हुआ है लेकिन तीनों एनकाउंटर का पैटर्न एक समान क्यों है?
जिसका शक था वह हो गया। विकास दुबे का किन किन राजनैतिक लोगों से, पुलिस व अन्य शासकीय अधिकारियों से उसका संपर्क था, अब उजागर नहीं हो पाएगा। पिछले 3-4 दिनों में विकास दुबे के 2 अन्य साथियों का भी एनकाउंटर हुआ है लेकिन तीनों एनकाउंटर का पैटर्न एक समान क्यों है?
— digvijaya singh (@digvijaya_28) July 10, 2020
उन्होंने दूसरे ट्वीट में लिखा- यह पता लगाना आवश्यक है विकास दुबे ने मध्यप्रदेश के उज्जैन महाकाल मंदिर को सरेंडर के लिये क्यों चुना? मध्यप्रदेश के कौन से प्रभावशाली व्यक्ति के भरोसे वो यहाँ उत्तर प्रदेश पुलिस के एनकाउंटर से बचने आया था?
कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बड़ा सवाल उठाया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है – अपराधी का अंत हो गया, अपराध और उसको सरंक्षण देने वाले लोगों का क्या? इसके जरिये उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सीधा सवाल पूछा है।
इससे पहले गुरुवार को भी प्रियंका गांधी ने विकास दुबे की गिरफ्तारी पर उत्तर प्रदेश सरकार पर सवाल किया था। उन्होंने ट्वीट कर कहा था – कानपुर के जघन्य अपराध में यूपी सरकार को जिस मुस्तैदी से काम करना चाहिए था, वह पूरी तरह फेल साबित हुई। अलर्ट के बावजूद आरोपी का उज्जैन तक पहुंचना, न सिर्फ सुरक्षा के दावों की पोल खोलता है बल्कि मिलीभगत की ओर इशारा करता है।
अपराधी का अंत हो गया, अपराध और उसको सरंक्षण देने वाले लोगों का क्या?
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) July 10, 2020
कानपुर के जघन्य हत्याकांड में यूपी सरकार को जिस मुस्तैदी से काम करना चाहिए था, वह पूरी तरह फेल साबित हुई।
अलर्ट के बावजूद आरोपी का उज्जैन तक पहुंचना, न सिर्फ सुरक्षा के दावों की पोल खोलता है बल्कि मिलीभगत की ओर इशारा करता है…1/2
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) July 9, 2020
उन्होंने लिखा – तीन महीने पुराने पत्र पर ‘नो एक्शन’ और कुख्यात अपराधियों की सूची में ‘विकास’ का नाम न होना बताता है कि इस मामले के तार दूर तक जुड़े हैं। यूपी सरकार को मामले की CBI जांच करा सभी तथ्यों और प्रोटेक्शन के ताल्लुकातों को जगज़ाहिर करना चाहिए।बहरहाल विकास के आंतक का खात्मा हो गया। उसकी मौत के साथ ही कई राज दफन हो गये। विकास अगर पूछताछ में मुंह खोल देता तो कई बड़े चेहरे बेनकाब हो जाते। उज्जैन पुलिस और एसटीएफ की टीमों ने उससे कल कई घंटों तक पूछताछ की थी। इसके बाद उसे यूपी भेजा गया था।
इधर उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पुलिस और युपी सरकार की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाया। अखिलेश ने ट्वीट कर कहा – दरअसल ये कार नहीं पलटी है, राज खुलने से सरकार पलटने से बच गई है।
दरअसल ये कार नहीं पलटी है, राज़ खुलने से सरकार पलटने से बचाई गयी है.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) July 10, 2020
महाकाल मंदिर में गिरफ्तारी के बाद विकास के नजदीकियों की बेचैनी बढ़ गई थी। विकास के मारे जाने के बाद भी उसकी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर मदद करने वाले लोग मुश्किल में फंस सकते हैं। बताया जा रहा है कि अगर विकास मुंह खोलता तो नेता, अफसर और अपराधी गठजोड़ का खुलासा हो जाता। जिससे कई मुश्किल में होंते। हिस्ट्रीशीटर के साथ रहने वाले, मदद करने वाले तमाम लोग अभी से पसीना-पसीना हो चुके थे कि विकास ने उनका नाम ले लिया तो पुलिस नींद हराम कर देगी। इस बात की संभावना भी थी कि विकास उन चेहरों को भी बेनकाब कर देगा जो सत्ता के गलियारे से इसकी मदद कर रहे थे।