भाजपा नेता ने आरोपियों के पक्ष में पंचायत लगाई, बोले- कोई घटना हुई ही नहीं, मीडिया में झूठा प्रचार

New Delhi : हाथरस के पूर्व विधायक और भाजपा नेता राजवीर सिंह पहलवान ने आज रविवार 4 अक्टूबर को अपने आवास पर ठाकुरों की एक मीटिंग की और कहा कि न्यूज चैनल्स, मीडिया हाथरस प्रकरण के बारे में झूठा प्रचार कर रहे हैं। वैसा कुछ हुआ ही नहीं है। पीड़ित बालिका के साथ किसी तरह का अपराध नहीं हुआ। उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ की मामले की जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा का स्वागत किया। नार्को टेस्ट भी होना चाहिये। क्योंकि ऐसी घटना घटी ही नहीं। झूठा प्रचार किया जा रहा है। अब इस मामले में दूध का दूध और पानी का पानी होना बेहद जरूरी है। यह पंचायत पीड़ित के घर के बगल में की गई वो भी तब जब पूरे जिले में धारा 144 प्रभावी है।

राजवीर सिंह पहलवान ने कहा कि पहले इस मामले में गर्दन की हड‍्डी टूटने की बात सामने आई और एक को आरोपी बनाया गया। उसके बाद तरह-तरह के आरोप लगाये जाने लगे और चार लोगों को आरोपी बना दिया गया। इस मीटिंग के बाद साबित हो गया है कि हाथरस प्रकरण पर मिट‍्टी डालने के उत्तर प्रदेश सरकार के सारे प्रयासों पर पानी फिर गया है और यह मामला गले की हड‍्डी बनती जा रही है। सामाजिक भेदभाव के तानेबाने और प्रशासनिक शिथिलता की वजह से मामला एक अलग ही रुख अख्तियार करता जा रहा है। खासकर तब जब इलाके के ठाकुरों ने अपना रुख कुछ ज्यादा ही कड़ा कर लिया है।
इस मसले को लेकर आसपास के गांव के ठाकुरों ने महापंचायत भी बुलाई है। ठाकुर अब आरोपियों के समर्थन में मुहिम चला रहे हैं। यही नहीं इलाके में ये बात ठाकुरों के बीच आग की तरह फैला दी गई है कि दलितों ने ठाकुरों को जानबूझकर फंसा दिया है। पीड़ितों की आवाज बनकर सामने आनेवाले भीम सेना के चीफ चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण आज पीड़ितों से मिलने के लिये पहुंचनेवाले हैं। ऐसी आशंका है कि रावण के वहां पहुंचने से इलाके के दलित भी गोलबंद होंगे। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी अपने सहयोगियों के साथ पीड़ितों से मिलने पहुंचेंगे।
इलाके में चौतरफा सन्नाटा पसरा हुआ है। ऐसा लग रहा है जैसे किसी बड़े तूफान से पहले की शांति हो। कोई एक दूसरे से बात करने तक को तैयार नहीं। इलाके का ठाकुर समाज खुलकर चुनौती दे रहा है। उनको लग रहा है मीडिया, अफसर और राजनेताओं ने अपना-अपना हित साधते हुये ठाकुरों को नीचा दिखाया है जबकि मामला अलग था। इसलिये इन मसलों पर आम राय कायम करने के लिये महापंचायत बुलाई गई है। दो दिन पहले ही जब पुलिस की निगरानी में पीड़ित परिवार नजरबंद था तो ठाकुरों की गांव में इस पर पंचायत हुई थी और गांव की पंचायत ने यह मान लिया कि मामला अलग है और ठाकुर समुदाय पर कीचड़ उछाला जा रहा है।

इधर राज्य सरकार के मामले की जांच सीबीआई से कराने के फैसले को लेकर भी पीड़ित परिवार सहमे हुये हैं। उन्हें नार्को टेस्ट का भी सरकार का फैसला गले के नीचे नहीं उतर रहा है। पूरे देश में यह इकलौता केस होगा जहां पीड़ित परिजनों का ही नार्को टेस्ट किया जायेगा। आखिर ऐसा क्यों किया जा रहा है? मामले में एसआईटी की जांच चल रही थी और सीबीआई की जांच कराने की मांग भी नहीं की तब भी सीबीआई जांच की अनुशंसा कर दी गई। यह सब क्यों किया जा रहा है? पिछले कई दिनों से अस्त व्यस्त चल रहे पीड़ित परिजनों के इन सवालों का जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है।

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