अजीम प्रेमजी ने 1125 करोड़ रुपये के डोनेशन की घोषणा की है

अजीम प्रेमजी : पिता के जाने के बाद पढ़ाई छोड़ 21 साल की उम्र में संभाला था पुरखों का बिजनेस

New Delhi : आज भारत के बिल गेट्स कहे जाने वाले विप्रो कंपनी के चैयरमेन और बिजनेसमेन अजीम प्रेमजी अपने आईडिया और इनोवेशन के लिए पूरी दुनिया में जाने जाते हैं। उनकी इसी खूबी ने उन्हें अपने पिता की एक साबुन और तेल बनाने वाली छोटी सी फर्म को आज इस मुकाम पर ले आए हैं जिसमेें आज उनकी कंपनी विप्रो की गिनती दुनिया की बेस्ट बिजनेस कंपनियों में होती है। आज उनकी इस कंपनी के जरिए लगभग डेढ़ लाख लोगों की रोजी रोटी चल रही है। लेकिन कंपनी को इस मुकाम पर लाना एक 21 साल के लड़के के लिए आसान नहीं था।

1966 की बात हे जब अजीम 21 साल के थे तो उन्हें अपने पिता का अवसान हो गया। खबर पाते ही 21 वर्षीय अज़ीम प्रेमजी स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से घर लौट आए, जहां वे विप्रो का प्रभार लेने के लिए इंजीनियरिंग का अध्ययन कर रहे थे। कंपनी, जिसे उस समय पश्चिमी भारतीय सब्जी उत्पाद कहा जाता था, ने हाइड्रोजनीकृत तेल निर्माण में बदला लेकिन अजीम प्रेमजी ने बाद में कंपनी को बेकरी वसा, जातीय घटक आधारित टॉयलेटरीज़, हेयर केयर साबुन, बेबी टॉयलेटरीज़, लाइटिंग उत्पाद और हाइड्रोलिक सिलेंडर में विविधता प्रदान की।
1980 के बाद प्रेमजी ने कंपनी को आईटी सेक्टर की तरफ भी मोड़ दिया और प्रौद्योगिकी के तहत मिनीकंप्यूटर बनाने के द्वारा उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्र में प्रवेश कर लिया। इसके बाद कंपनी साबुन की जगह पर्सनल कंप्यूटर बनाने के साथ सॉफ्टवेयर सर्विसेज भी प्रोवाइड कराने लगी। इसके बाद ही कंपनी का नाम बदलकर विप्रो किया गया था। इसी विप्रो को आजकल आईटी और एफएमसीजी क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों में शुमार किया जाता है।

अजीम प्रेमजी जितने बड़े बिजनेसमेन हैं उतने ही जिंदादिल इंसान है। जब भी दान की बात की जाती है तो उनका नाम सबसे आगे होता है। इस बार जब कोरोना संकट के चलते जब प्रधानमंत्री ने राहत कोष में डोनेशन देने की अपील की तो उनका नाम सबसे आगे रहा। उन्होंने इस संकट की घड़ी में राहत कोष में 1125 करोड़ दान किए। ये सर्वोच्च राशि थी। अजीम प्रेमजी अभी तक 132 मिलियन डॉलर (लगभग एक हजार करोड़ रुपये) दाने दे चुके हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *