New Delhi : अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा है – चीनी सैन्य क्षमताओं का खतरा देखते हुए अमेरिका निश्चित ही भारत समेत दुनियाभर के कई साझेदार देशों के साथ हाथ मिला सकता है। उन्होंने कहा, चीनी सेना ने जो तरक्की की है वह सच है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपनी सैन्य क्षमताएं बढ़ा रहे हैं। हमारा रक्षा मंत्रालय इस खतरे को समझने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। विदेश मंत्री पोम्पियो ने कहा – मुझे पूरा भरोसा है कि राष्ट्रपति ट्रंप के नेतृत्व में हमारा रक्षा विभाग, हमारी सेना और हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा संस्थान इतने सक्षम हैं कि हम अमेरिकियों की रक्षा कर सकते हैं।
Mike Pompeo : '#China has moved up its forces along the #LAC in #Ladakh & North #Sikkim with #India, asserting that authoritarian regimes take these kinds of actions in #HongKong or #SouthChinaSea & the #US has a responsibility and the capability to push back against that. pic.twitter.com/9AKRHeFgDL
— IDU (@defencealerts) June 2, 2020
उन्होंने कहा- वास्तव में हम विश्व भर के अपने सहयोगी देशों भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, जापान, ब्राजील, यूरोप के साथ अच्छी सहभागिता निभा सकते हैं। हम अच्छे साझेदार हो सकते हैं और इससे यह भी पक्का करेंगे कि पश्चिमी देशों में आजादी का जो अमेरिकी मॉडल है वह इन देशों में भी हो।
भारत-चीन के बीच हालिया सीमा विवाद पर एक सवाल का जवाब देते हुए पोम्पियो ने कहा- चीन मार्च से ही यह सब कर रहा है। वह लंबे समय से इसके लिए प्रयास कर रहा था। वे वहां कुछ ऐसा करेंगे जिससे उनका फायदा हो, लेकिन हम भारत के साथ हैं। चीन सिर्फ धमकियां देता रहा है और यह काम वह लंबे समय से कर रहा है।
अमेरिका के विदेश मंत्री ने कहा, पहली बार, हमारे पास एक ऐसा प्रशासन है जो वास्तव में प्रतिक्रिया देने और ये कहने के लिए तैयार है कि ऐसा अब बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। इस सरकार ने कुछ जरूरी कदम उठाए हैं, जिससे यह पता चलता है कि हमारी सरकार चीन से अमेरिकी लोगों को बचाने के लिए कितनी गंभीर है।
चीन के खिलाफ अमेरिकी संसद में 60 बिल लंबित हैं। इस बारे में पोम्पियो ने कहा, मुझे नहीं पता कि उन 60 में से कौन राष्ट्रपति तक पहुंचेगा। मुझे कांग्रेस के लोगों पर भरोसा है। 60 बिलों में से कई बिल द्विदलीय हैं। पिछले हफ्ते चीन में उइगर मुसलमानों से संबंधित एक बिल लाया गया था। मैं चाहता हूं कि कांग्रेस के सदस्य इस मुद्दे पर अध्ययन जारी रखें और ट्रंप प्रशासन की मदद करें।